धार्मिक स्थलों के खुलते ही सड़कों पर दिखें कलयुग के श्रवण कुमार 

धार्मिक स्थलों के खुलते ही सड़कों पर दिखें कलयुग के श्रवण कुमार 

वाराणसी। कलयुग के विषय में कहा जाता है कि ये अपने चरम पर है और इस युग में मनुष्य मानवता को भूल केवल माया में ही उलझा रहता है। 

दिखावे की चकाचौंध में सब कुछ भूल जाने वाले लोग आपको बहुतेरे मिलेंगे मगर यदि इस युग में भी सत्कर्म करने वाले संत पुरुषों से अगर आपकी मुलाकात हो जाए तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं।

अपने सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से वीडियो देखें होंगे जिनमें लोग अपने माता-पिता के साथ अमानवीय व्यवहार करते है।

मगर हम आज आपके लिए एक ऐसा वीडियो लेकर आये है जिसे देखकर आपके मन मे भी अपने माता-पिता के प्रति प्रेम और आदर का भाव छलक उठेंगा।

जी हां हम बात कर रहे हैं वाराणसी के एक ऐसे व्यक्ति की जिन्हें कलयुग का श्रवण कुमार कहा जाता है।

जो पिछले 3 वर्षों से अपनी माता को पालकी में बिठाकर पंचकोश की यात्रा करा रहे हैं।

वाराणसी के मैदागिन चौक थाना क्षेत्र के निवासी शिवेश मिश्रा अपने 95 साल की माता को पालकी में बिठाकर गाजे बाजे के साथ पंचकोशी यात्रा कराते हैं। यह कार्य वह पिछले 3 वर्षों से कर रहे हैं।

मां को पंचकोश की यात्रा कराते इस श्रवण कुमार को सड़क पर आते जाते जिन राहगीरों ने भी देखा उसने इन्हें दिल से दुआ दी और इनके नेक काम की सराहना करते नजर आए।

मां को पालकी में बिठाकर शिवेश मिश्रा नारे भी ऐसे लगाते हैं जिन्हें सुनकर मन प्रसन्न हो जाए।

शिवेश मिश्रा इस यात्रा के दौरान ‘जय कन्हैया लाल की, माता जी की पालकी’ के नारे लगा रहे थे।

इस संबंध में शिवेश मिश्रा ने बताया कि माता-पिता की सेवा करना किसी भी देवी-देवता के पूजन से कहीं अधिक फलदायी है।

भगवान शिव की बारात ने नाम से जगजाहिर पंचकोशी यात्रा का विशेष महत्व है।

यह यात्रा में वाराणसी के मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर शुरू की जाती है और भगवान शिव के पांच धामों की परिक्रमा की जाती है।

जिसे एक कठिन परिक्रमा के रूप में भी देखा जाता है और ऐसी यात्रा पर अपनी मां को पालकी में बिठाकर परिक्रमा कराना किसी भी प्रकार के सत्संग या भगवान की पूजा से बढ़कर है। 

न्यूज़ बकेट पत्रकारिता कर रहे छात्रों का एक छोटा सा समूह है, जो नियमित मनोरंजन गपशप के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, इसके अलावा विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों में शामिल सौंदर्य, ज्ञान और अनुग्रह के ज्ञान का प्रसार करते हुए भारतीय समाज के लिए मूल्य का प्रसार करते हैं। 

Vikas Srivastava

Related articles