शारदीय नवरात्रि में चौथे दिन मां कुष्मांडा का दर्शन कर भक्त हुए निहाल
वाराणसी। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के दर्शन का विधान है। ऐसे में वाराणसी के दुर्गा मंदिर में मां कुष्मांडा के दर्शन को भक्त सुबह तड़के ही पहुंचे। मां कुष्मांडा अष्टभुजाओं को धारण करने वाली है।
मां अपने हाथों में कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, शंख चक्र, गदा हस्त और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला को धारण करने वाली है। सिंह पर सवार माता के दर्शन मात्र से ही भय से मुक्ति मिलती है।
कहा जाता है कि वर्ष 1780 में अहिल्या बाई होल्कर ने वाराणसी में दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर को बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां बंदरों का जमावड़ा लगा रहता है।
मां कुष्मांडा अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए स्वर्ण के सामान कांतिमय है और ऐसी मान्यता है कि मां ने अपने मुस्कान से ही संसार में फैले अंधकार को दूर कर दिया था।
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