बाबा महाश्मशान के श्रृंगार महोत्सव में नगर वधुओं ने किया नृत्य, बाबा को प्रसन्न करने की परंपरा 354 वर्ष पुरानी 

बाबा महाश्मशान के श्रृंगार महोत्सव में नगर वधुओं ने किया नृत्य, बाबा को प्रसन्न करने की परंपरा 354 वर्ष पुरानी 

वाराणसी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी अपने आप में ही कई रहस्य समेटे हुए है।

ऐसे में नवरात्रि की पंचमी तिथि से बाबा महाश्मशान नाथ का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव की शुरुआत होती है।

इस महोत्सव के अंतिम दिन नगर वधुओं के द्वारा बाबा को नृत्यांजलि देने की प्रथा है। 

हालांकि इस बार कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण आम जनमानस को महोत्सव में शामिल होने की इजाजत नहीं थी।

मणिकर्णिका घाट पर धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं ने बाबा को प्रसन्न करने के लिए सुध-बुध खोकर नृत्य किया है। 

मान्यता है कि हर वर्ष इस परंपरा का निर्वाहन किया जाता है। यह परंपरा 354 वर्षों से चली आ रही है।

इस परंपरा की शुरुवात राजा मानसिंह ने की थी। मान्यता है कि नगर वधुयें बाबा के समक्ष नृत्य करती है ताकि अगले जन्म में उन्हें किन्नर की योनि से मुक्ति मिल सकें।


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Vikas Srivastava

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