कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री द्वारा कराये गए एफआईआर को बताया आधारहीन  

कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री द्वारा कराये गए एफआईआर को बताया आधारहीन  

वाराणसी। वाराणसी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा 14 जून की देर रात पूर्व विधायक राजेशपति त्रिपाठी एवं ललितेशपति त्रिपाठी सहित 41 लोगों पर मिर्जापुर के मड़िहान थाने में अपराधिक एफआईआर दर्ज कराया गया।

इस एफआईआर को कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री अजय राय, उ.प्र. कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष विजय शंकर पांडे और पूर्व महामंत्री सतीश चौबे ने असत्य और आधारहीन बताया है।

पराड़कर स्मृति भवन में पत्रकार वार्ता के बीच कांग्रेस के इन नेताओं ने कहा कि प्रतिष्ठित त्रिपाठी परिवार ने एक इंच भी जमीन पर न तो विधि विरुद्ध कोई कब्जा किया है और ना कोई विधि विरुद्ध काम किया है।

इन कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि निहित राजनैतिक उद्देश्य से करवाए इस एफआईआर से एक प्रतिष्ठित और बेदाग़ पीढ़ी वाले परिवार को बदनाम किया जा रहा है।

इन कोंग्रेसी नेताओं के कथन अनुसार भूमि गोपालपुर सहकारी समिति की है जिसे तत्कालीन जमींदार श्री अमरेश चंद्र और नरेश चंद्र ने समिति को बेचा था।

जिसके बाद से आज तक वह समिति और भूमि उसी तरह है और इसका लगान हर साल समिति द्वारा सरकार को दिया जाता है।

कांग्रेस नेताओं ने आगे बताया कि 1971-72 में मूल पट्टाधारकों के उत्तराधिकारियों में से कुछ ने 229 बी. के तहत राजस्व रेकार्ड खतौनी में अपना नाम अंकित करवा लिया था।

उसके विरुद्ध समिति खुद हाई कोर्ट गई थी। वहां अदालत ने समिति के पक्ष में निर्णय सुनाया था।

इन नेताओं के अनुसार पूर्व वर्ष कांग्रेस द्वारा सोनभद्र में ऊंभा कांड में ललितेशपति त्रिपाठी की सक्रिय भूमिका निभाने के बाद योगी सरकार में उनके प्रति नाराजगी थी।

इसी के बाद शासन को समिति एवं कामकाज से आपत्ति हुई है।


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Vikas Srivastava

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