बारिश के मौसम में बढ़ सकता है कोरोना का कहर, जानिए विशेषज्ञों की राय
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना महामारी को लेकर ये जानकारी दी थी कि इस खतरनाक वायरस का फैलाव मानव से मानव में होता है। इसीबीच एक चौका देने वाले तथ्य सामने आये जिनपर गौर करना आवश्यक है।
कोरोना के संकट के बीच विशेषज्ञों ने पानी में भी कुछ समय के लिए कोरोना के वायरस के सक्रीय रहने की बात कही है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक बारिश के पानी की आद्रता कोरोना वायरस के होने वाले ग्रोथ को बढ़ा सकता है। भारत के अहमदाबाद के साथ दुनिया के कई देशों में पानी में वायरस की मौजूदगी ने विशेषज्ञों की चिंता को बढ़ा दिया है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ गांधीनगर में अहमदाबाद के कई जगहों के सीवेज वाटर के सैम्पल लिए गए जिनमें सार्स-कोव-2 के जींस मिलें है। ऐसे तथ्यों को लेकर पूरे विश्व में बहस छिड़ी हुयी है।
चिकित्सा वैज्ञानिकों का कहना है कि एक ही फैमिली के बैक्टीरिया या वायरस के फैलने का तरीका एक जैसा ही होता है।
ऐसे तथ्यों को लेकर आईआईटी के अध्ययनकर्ताओं ने देश के सभी हॉट स्पॉट इलाकों के सीवेज के पानी की जांच की बात की है। इस जांच से यह पता लगाया जा सकता है कि कहीं पानी में कोरोना के वायरस की उपस्थिति तो नहीं है।
इन सभी तथ्यों के सामने आने से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया था कि कोरोना वायरस पानी से नहीं फैलता है।
आपको बता दें कि नीदरलैंड के वैज्ञानिकों की एक जानकारी जो ऑनलाइन जर्नल केडब्ल्यूआर के एक अंक में छपी थी जिसमें यह दावा किया गया कि वहां के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कोरोना के 3 सक्रीय जींस मिलें।
इसीप्रकार का एक दावा यूके के सेंटर फॉर ईकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी की रिपोर्ट में किया गया कि कोरोना वायरस मल या गंदे पानी में कुछ वक्त के लिए सक्रीय रहता है।
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