बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए खतरनाक कोरोना वायरस, हो सकता है साइलेंट किलर
कोरोना महामारी के बढ़ते मरीजों की संख्या से आज पूरा विश्व ग्रसित है। एक तरफ दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से लगातार मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस की वजह से मौतों का सिलसिला भी बढ़ता जा रहा है।
ज्यादातर मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण फ्लू जैसे दिखने पर उन्हें भर्ती किया जा रहा है। मगर वैज्ञानिकों के एक दावे ने इस वैश्विक महामारी को नया स्वरूप दे दिया है, जो बहुत ही खतरनाक है।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस से प्रभावित ऐसे भी लोग है जिनमें कोरोना के लक्षण कम दिखते है। इसे एसिम्प्टोमैटिक कहा जाता है।
हाल में ही हुए अध्ययन में ये पता चला है कि कोरोना वायरस एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के लिए साइलेंट किलर का काम करता है।
एक शोध के मुताबिक ऐसे मरीजों में कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद भी खांसी, सांस लेने में दिक्कत और बुखार जैसे लक्षण नहीं दिखाई देते। ऐसे मरीजों की अचानक मौत होने का खतरा बना रहता है।
चीन के सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रीवेंशन संस्थान ने चीन में फरवरी से अप्रैल तक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग व जांच के जरिए कुल 2088 मरीजों का डाटा कलेक्ट किया।
मरीजों के सिटी स्कैन से पता लगा कि 57 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों में धारीदार छाया थी जो फेफड़ों में सूजन या इन्फ्लेमेशन का लक्षण है। जिसमें फेफड़े अपनी स्वाभाविक क्षमता से काम करना बन्द कर देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में एसिम्प्टोमैटिक मरीजों की संख्या 6 प्रतिशत से 41 प्रतिशत तक हो सकती है। कोरोना मरीजों की आयी रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ भारत में ही ऐसे मरीजों की संख्या लगभग 80 प्रतिशत तक है।
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