रविदास जयंती की तैयारियां हुयी शुरू, लंगर में भोजन कर रहे हजारों
वाराणसी। जहां एक तरफ काशी को मोक्ष की नगरी कही जाती है वहीं दूसरी तरफ ये संतो और गुरुओं की नगरी भी जानी जाती है।
इसी कड़ी में संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी के सीर गोवर्धनपूर में रविदास जयंती के अवसर पर भक्तों का जमावड़ा लगाना शुरू हो गया है।
मंदिर के पास दुकानों से बाज़ार सजाने लगा है और मेले से पूरा इलाका जगमगा उठा है।
संत रविदास जी के मंदिर में देश-विदेश से लोग आते हैं और संत रविदास जी का दर्शन करते हैं।
इतना ही नहीं बड़े बड़े पार्टियों के बड़े बड़े नेता लोग भी यहां पर आकर रविदास जी के मंदिर में संत रविदास जी सामने मत्था टेकते हैं।
मगर सबसे ज्यादा यहाँ पंजाब से आने वाले पंजाबी भक्तों का जत्था लगता है। रविदास जयंती के अवसर पर हर वर्ष के तरह इस वर्ष भी संत रविदास जी के जन्मस्थली सीर गोवर्धनपूर में पुरे एक हफ्ते का आयोजन और भजन कीर्तन किया जाता है।
मगर सबसे ज्यादा ख़ास यहाँ पर पंजाब से आये जत्थो के द्वारा किया जाने वाला लंगर का आयोजन है।
आपको बता दें कि पंजाब से आये जत्थो और भक्तों द्वारा यहाँ पर एक हफ्ते का लंगर का आयोजन किया जाता है और बात यह है कि लंगर का प्रशाद बनाने वाले हलवाई भी पंजाब से ही होते है, जिसे यहाँ हर भोजन में पंजाब का स्वाद मिलता है।
प्रति दिन यहाँ पर लगभग 40 से 45 हज़ार भक्त इस लंगर में शामिल होते हैं और संत रविदास जी के लंगर के प्रशाद को ग्रहण करते हैं।
हालांकि कि कोरोना के कारण इस बार यहाँ भक्तों की भीड़ थोड़ी कम देखने को मिल रही है, लेकिन पंजाब से आये सेवादारों की आस्था और सेवा में कोई कमी नज़र नहीं आ रही। बहार से आये भक्तों के लिए रैनबसेरों की भी व्यवस्था की गयी है।
मंदिर प्रसाशन द्वारा करना का पूरा ध्यान रखते हुए मास्क और सेनिटाइज़र को अनिवार्य कर दिया गया है और दो गज की दुरी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
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