कोरोना वायरस के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का रुका परीक्षण, ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने बताया बेकार
कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने में इस्तेमाल की जा रही मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन या क्लोरोक्विन को ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने बेकार बताते हुए दवा के परीक्षण पर रोक लगा दी।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुरक्षा कारणों की वजह से कोविड-19 के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर चल रहे परीक्षण को रद्द कर दिया था।
इस दवा के परीक्षण को रोकें जाने बाद भारत में विरोध देखने को मिला। भारत की ओर से डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखकर इस दवा के परीक्षण पर लगे रोक को गलत बताया गया।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस दवा की मांग की थी उसी के बाद से ये दवा चर्चा में आयी और इस पर परीक्षण शुरू कर दिया गया था।
इस दवा के संबंध में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय रिकवरी परीक्षण के सह प्रमुख प्रोफेसर हैंमार्टीन लैंड्रे ने बताया कि कोविड-19 के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा काम नहीं करती। ऐसी दवाओं इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए जो बेकार हो।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस दवा का अमेरिका और कनाडा के लोगों पर किया गया जिसे इलाज में बेकार पाया गया।
लगभग 821 लोगों पर इस दवा का परिक्षण किये जाने के बाद ये बात सामने आयी। उन्होंने बताया कि कोरोना के मरीजों में ये दवा कारगर नहीं है।
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