कब सुलझेगा बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य, वैज्ञानिकों की क्या है राय?
यूं तो हमारी धरती पर कई विशाल समुद्र है, लेकिन एक समुद्र ऐसा है जहां हर कोई जाने से कतराता है।
अगर कोई गलती से यहां चला जाए तो वह कभी वापस लौट कर नहीं आता।
जी हां हम बात कर रहे हैं बरमूडा ट्रायंगल की। कई सालों से बरमूडा ट्रायंगल लोगों के लिए मिस्ट्री बना हुआ है।
यहां से गुजरने वाले न जाने ही कितने जहाज और प्लेन गायब हो चुके हैं। इसके पीछे का राज कोई नहीं जान पाया है।
मगर अब साइंटिस्ट ने इसके पीछे का राज पता लगा लिया है कि आखिर क्यों यह जहाज और प्लेन इस ट्रायंगल से गायब हो जाते हैं?
दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने बरमूडा ट्रायंगल के आसपास के मौसम का गहन अध्ययन किया, जिससे उन्हें कई प्रकार की जानकारी मिली, जिससे वह इस मिस्ट्री को सुलझाने का दावा कर रहे हैं।
हजारों सालों से अब तक यहां कोई जिंदा लौट कर वापस नहीं आ पाया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर खतरनाक हवाएं चलती है।
इन हवाओं की गति लगभग 170 मील प्रति घंटे रहती है।
जब कोई जहाज इस हवा के संपर्क में आता है तो अपना संतुलन खो बैठता है, जिसके कारण उनका एक्सीडेंट हो जाता है।
ये हवाएं बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर बनने वाले बादलों के कारण चलती हैं।
इस ट्रायंगल के ऊपर किलर क्लाउड़ यानि जानलेवा बदल छाये रहते है।
इन बादलों को जानलेवा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह काफी घने होते हैं।
इनके अंदर कई तूफान भी उठते हैं और जैसे ही इन बादलों के अंदर कोई प्लेन जाता है तो अपना संतुलन खो बैठता है, जिसके कारण ज्यादातर प्लेन में विस्फोट हो जाता है।
इस विषय पर जब हमने बीएचयू के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसरडॉ अभय कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने इससे जुड़े कई तथ्य बताये।
उन्होंने बताया कि बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य की कोई पुख्ता वजह तो नहीं पता है मगर इससे जुड़े कई सिद्धांत हैं।
एक सिद्धांत के अनुसार वहां कोई चुम्बकीय शक्ति है जो वहां से गुजरने वाले जहाजों को और हवाई जहाजों को अपनी ओर खींच लेती है।
वहीं एक दूसरे सिद्धांत के अनुसार इस विषय को एलियन और यूएफओ से जोड़ा जाता है।
वहीं इससे जुड़े सबसे विश्वशनीयसिद्धांत के अनुसार वहां पर लो प्रेशर जोन बनता होगा जिससे बवंडर उत्त्पन्न होता होगा।
इस सिद्धांत के अनुसार इसी बवंडर में वहां सेगुजरने वाले सभी जहाज और हवाई जहाज समाहित हो जाते हैं।
हालाँकि गल्फ स्ट्रीम के इस सिद्धांत की कोई पुष्टि तो नहीं है मगर इस थ्योरी के ज्यादा सटीक होने के कारण इसे इसे ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है।
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