गुजरात मॉडल के लालच में फंसे ट्रैफिक ब्रिगेड, खा रहे हैं दर-दर की ठोकरें
गुरुवार को ट्रैफिक ब्रिगेड (TRB) के जवानों ने वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल से मुलाकात की। ट्रैफिक ब्रिगेड के जवानों ने मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल को एक ज्ञापन सौंपा और अपनी मांग पेश की। उन्होंने मंडलायुक्त को बताया कि साल 2015 से ही वाराणसी यातायात पुलिस द्वारा प्रशिक्षण के नाम पर उनसे ड्यूटी ली गई है। लेकिन उसके बदले इन्हें कोई मानदेय नहीं मिला।
ट्रैफिक ब्रिगेड के जवानों का कहना है कि उन्हें यह कहा गया था कि वाराणसी विकास समिति से उन्हें मानदेय मिलेगी। लेकिन अब तक कोई मानदेय नहीं मिला है। जवानों का आरोप है कि शहर के चौक-चौराहों, त्योहारों और चुनाव के वक्त इनसे ड्यूटी कराई जाती है। मगर उसके बदले कभी उन्हें मानदेय नहीं दिया गया।
बता दें कि 2015 में गुजरात मॉडल के आधार पर बनारस में भी पीआरडी के जवानों को यातायात मित्र बनाकर लाया गया था। जिसके आधार पर इन्हें नियमित तौर पर यातायात ट्रैफिक विभाग में नियुक्ति का भरोसा दिलाया गया था। लेकिन पांच साल से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी न ही इनकी स्थाई नियुक्ति हुई और न कोई वेतन मिला है।
इनमें से एक TRB के जवान सोनू रैकवाल (बांदा निवासी) ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर हुकुलगंज स्थित किराये के मकान में आत्महत्या कर ली थी। इस ब्रिगेड के अन्य जवान भी वेतन न मिलने से परेशान हैं।
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