वाराणसी प्रदूषण नियंत्रण पर आयोजित हुआ सेमिनार
भदोही, वाराणसी: सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण पर आयोजित सेमिनार में कालीन भवन में टेक्सटाइल चार्टर एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन एवं आईआईटी बीएचयू के रसायन इंजीनियरिंग टेक्नालाजी विभाग के प्रमुख प्रो.पीके मिश्रा ने कहा कि पानी के समाप्त होने का जोखिम पेट्रोलियम पदार्थों से भी पहले हो गया है।
इस कारण अब वह वक्त आ गया है जब जीवनशैली में परिवर्तन किया जाएं जिससे भूजल और पर्यावरण को बचाया जा सके। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अब अलग चार्टर लागू हो चुका है कागज और चीनी उद्योग में। चार्टर लागू करने की कवायद वस्त्रोद्योग में भी चल रही है।
संजय हराने दी बांबे टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन के एडवाइजर ने रखे विचार
संजय हराने जो कि दी बांबे टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन के एडवाइजर ने बताया कि पर्यावरणीय समस्या को कम से कम पानी का उपयोग दूर कर सकता है। यदि कम पानी का उपयोग होगा तो रयासन का उपयोग भी कम होगा। आगे उन्होंने यह भी स्पस्ट किया की चार्टर के उपयोग से जहां एक तरफ उत्पादन लागत कम होगी वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
आगामी दस वर्षों में यदि उद्यमी इसे नहीं अपनाएंगे तो इंडस्ट्री ही समाप्त हो जाएगी। डॉ.एके विद्यार्थी जो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अतिरिक्त निदेशक है ने कहा कि पानी एवं रसायनों का उपयोग कम करना होगा जिससे प्रदूषण से बचा जा सके। साथ ही अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर पानी को रिसाइकल करने की भी जरूरत है।
उत्पादों में इको फ्रेंडली कच्चा माल का इस्तेमाल कर पर्यावरण को रखे सुरक्षित
इको फ्रेंडली कच्चा माल का इस्तेमाल उत्पादों में करके भी पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। सिद्धनाथ सिंहपूर्व कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के उपाध्यक्ष ने आयोजन के दौरान उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखे। रवि पाटोदिया ने संचालन किया। इस दौरान शामिल हुए अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के अध्यक्ष ओएन मिश्र, प्रो.सिद्धनाथ उपाध्याय, शाहिद हुसैन, प्रो. अदिवेल्कर, अब्दुल रब अंसारी, अब्दुल हादी अंसारी, मकसूद अंसारी, जेपी गुप्ता, हुसैन जाफर, डा.विवेक, अनु मिश्रा, उमेश गुप्ता अन्य भी उपस्थित रहे।