नीरव मोदी बोले अब नहीं लौटाऊंगा पैसे, पीएनबी के वजह से चौपट हुआ मेरा धंधा
देश के बैंकिंग इतिहास में हुए अबतक के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड मामले में आरोपी नीरव मोदी ने इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ी है। पीएनबी मैनेजमेंट को लिखे लेटर में नीरव ने साफ़-साफ़ कहा है की अब वो बैंक के पैसे नहीं लौटाएंगे उनके अनुसार बैंक ने जितनी देनदारी बताई है वो बहुत ज्यादे है, और असल देनदारी 5000 करोड़ रुपये से भी कम है। और बैंक ने अपने पैसे वसूलने में जल्दबाज़ी दिखाई जिससे मेरा धंधा चौपट हो गया।
अपने लेटर में नीरव ने पीएनबी को लिखा है की आपके द्वारा फैलाये गए गलत मामले से मेरा धंधा चौपट हो गया। सूत्रों के अनुसार, नीरव मोदी ने यह लेटर 15-16 फरवरी को लिखा था जबकि पीएनबी ने 14 फरवरी को बैंक फ्रॉड को पब्लिक किया था।
ये है नीरव मोदी का बैंक को लिखा पत्र
अपने इस पत्र में नीरव ने लिखा है– “हमारी देनदारी का गलत आंकड़ा बताने के चलते मीडिया की नज़रे मुझपर टिक गयी जिससे मेरी सम्पतियो की तुरंत तलाशी और जब्ती होने लगी। जिसके वजह से फायर स्टार इंटरनेशनल और फायर स्टार डायमंड इंटरनेशनल को अपना कारोबार रोकना पड़ा। और इससे ग्रुप की बैंक देनदारी चुकाने की क्षमता खतरे में पड़ गयी और हम क़र्ज़ चुकाने में असमर्थ हो गए।”
उनका दूसरा आरोप है की – 13 फरवरी को मैंने पैसा चुकाने का ऑफर दिया था। लेकिन, पैसे वसूलने की जल्दबाज़ी में लिए गए फैसलों से मेरा व्यवसाय और ब्रांड बिलकुल चौपट हो गया। और बैंक ने अपने क़र्ज़ वसूलने के अवसरों को सिमित कर लिया।
नीरव का तीसरा आरोप है की– शिकयत के बावजूद मैंने पैसे लौटने का ऑफर दिया था और क़र्ज़ का सही आंकलन करने के लिए आवेदन किया था और समय मांगते हुए, मैंने कहा था मुझे फायर स्टार ग्रुप बेचने या उसकी सम्पतियो को बेचने की इज़ाज़त दे। और अपनी वाजिब रिकवरी करे पर यह केवल फायर स्टार ग्रुप से न किया जाये बाकि के तीन फर्म से भी बैंक पैसा वसूले।
और अब जब आपने ये सब कदम उठा लिए तो आपका देनदारी वसूलने का कोई हक़ नहीं रहा। भारत में मेरे बिज़नेस की वैल्यू लगभग 6500 करोड़ है, जिससे आपका क़र्ज़ आसानी से चुकाया जा सकता था। क्योंकि मेरे सारे अकाउंट्स फ्रीज हैं और संपत्तियां सील कर दी गई हैं इसलिए अब मै आपका क़र्ज़ चुकाने में असमर्थ हु। ईडी और सीबीआई ने जो कीमती सामान और संपत्तियां जब्त किया है, उनकी कीमत 5649 है, और उन दूसरी संपत्तियों से बैंक की सारी देनदारी आसानी से चुकाई जा सकती थी।