Paryavaran Kumbh का समापन, स्थानीय पर्यावरणविदों को आमंत्रित तक नहीं किया गया
वाराणसी: काशी विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय पर्यावरण कुंभ में एक विशेष विचारधारा रखने वाले वक्ता ही नजर आए। इस पर्यावरण कुंभ के दौरान इस बात की विशेष रूप से चर्चा हुई कि स्थानीय और प्रतिष्ठित पर्यावरणविदों को इस आयोजन में अपने विचार रखने के लिए नहीं बुलाया गया।
आयोजन में प्रो.वीरभद्र मिश्र को नहीं बुलाया गया
वहीं इस आयोजन पर अपनी नजर रखने वालों का कहना रहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में शहर के प्रो. वीरभद्र मिश्र ने सराहनीय कार्य किए थे। फिर भी इस आयोजन में न तो उनके फाउंडेशन न उनके परिजनों यहां तक की जल पुरुष राजेंद्र सिंह को भी बुलाया जाना चाहिए था पर बुलाया नहीं गया।
मंच पर होना चाहिए था विभिन्न विचारों का समावेश
बता दे कि वहीं लोगों का मानना रहा है कि कुंभ को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जोड़कर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की परिकल्पना को वर्तमान सरकार ने साकार किया है। इन सबके बाद भी विभिन्न विचारों का समावेश मंच पर होना अनिवार्य था।
वैचारिक कुंभों की योजना के तहत हुआ आयोजन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना के अनुसार पर्यावरण कुंभ काशी विद्यापीठ में पांच वैचारिक कुंभों की योजना के तहत हो चुका है। वहीं मातृवंदन कुंभ वृंदावन (मथुरा) में 8-9 दिसंबर को होगा। तीसरा समरसता कुंभ अयोध्या 15-16 को होगा, लखनऊ में चौथा युवा कुंभ 22-23 दिसंबर को व पांचवां प्रयाग में संस्कृति कुंभ 30 जनवरी को होगा।
कठपुतली शो रहा मुख्य आकर्षण
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में लगे पर्यावरण कुंभ के तहत कठपुतली शो मुख्य आकर्षण का केंद्र बना जिसमें कठपुतली के माध्यम से बेहतरीन ढंग से पर्यावरण के महत्व को लखनऊ से आई टीम ने समझाया।