हुनर नहीं होता शिक्षा का मोहताज
वाराणसी। खाकी को नाम और पहचान दिलाने वाले बलराम विश्वकर्मा को देखिये। बलराम खाकी वर्दी पर लगने वाले नेम बैच को बनाने का काम करते है।
बलराम नेम बैच का काम करने वाली दूसरी पीढ़ी से है। बलराम से पहले इनके पिता मुन्ना विश्वकर्मा वाराणसी के कचहरी परिसर में पुलिस की वर्दी पर लगने वाले नेम बैच को बनाया करते थे।
मुन्ना विश्वकर्मा कभी भी स्कूल नहीं गए और अपने हुनर के दम पर बिना शिक्षा के यह काम शुरू किया। वे कचहरी परिसर में एक पेड़ के नीचें बैच बनाया करते थे। महीन काम होने के कारण जब आँखों ने जवाब दे दिया तब मुन्ना के बेटे बलराम ने इस काम की जिम्मेदारी ली और अब वो इस काम को आगे बढ़ा रहे है।
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