नागरिगता बिल से इन्हें रखा गया दूर
वाराणसी। नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है। सोमवार को इस विधेयक के पक्ष में जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ आने के चलते यह आसानी से पास हो गया था। लेकिन राज्यसभा में सरकार की इस विधेयक को पास करना अंतिम अग्निपरीक्षा होगी।
इसी को लेकर वाराणसी में भी उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस अल्पसंख्यक कांग्रेस एन.एस.यू.आई. की ओर से कहा गया कि भारत के संविधान का मूलतत्व धर्मनिरपेक्षता और नागरिक समानता है इसके विपरीत मुस्लिम समुदाय को इस विधेयक में शामिल नहीं किया गया है।
जब कि माननीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए एक बयान में उन्होंने कहा था कि जिन लोगो को धर्म के आधार पर भेदभाव व सताये जाने कि वजह से अपने देश से पलायन करना पड़ा था और वो अपने जीवनयापन के लिए भारत में शरणार्थी बन गए थे। उन्हे भारत की नागरिकता दी जाएगी। जबकि पकिस्तान में सिया मुस्लिमों, बंगाली मुस्लिमों से भेदभाव व सताया गया म्यांमार मुसलमानों को हिंसा पूर्वक निकाला गया। जिससे वे लोग भारत में शरणार्थी हुए।
माननीय गृहमंत्री के संसद में दिये गये बयान के अनुसार पीड़ित लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। तो मुस्लिम समुदाय को भी इसमें शामिल करके भारत के संविधान की रक्षा हो। प्रतिनिधि मंडल में प्रमुख रूप से हिफाजत हुसैन सन्तोष उपाध्याय, तैफिक कुरैशी, मो0 आदिल, असिफ इकबाल कुरैशी शामिल रहे।
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