25 दिसंबर को अर्धरात्रि में प्रभु का जन्म एवं विशेष समारोह  

25 दिसंबर को अर्धरात्रि में प्रभु का जन्म एवं विशेष समारोह  

वाराणसी। आगामी 25 दिसंबर को पढ़ने वाले क्रिसमस डे के आयोजन के संदर्भ में आज वाराणसी में मसीही समुदाय के सन्त यूजीन जोशेफ द्वारा कैंटोनमेंट क्षेत्र स्थित लाल चर्च जिजा घर में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। 

बिशप यूजीन जोशी द्वारा बताया गया कि आगमन काल से ही ईसाई समुदाय प्रार्थना त्याग और तपस्या द्वारा स्वयं को क्रिसमस के लिए तैयार कर चुके हैं।

क्रिसमस का माहौल किस्त जयंती कैरोल गीत नवजात शिशु ईसा मसीह की जन्म की झांकी चरणी चर्च एवं घर की सजावट के साथ ही क्रिसमस ट्री सजाया जाएगा और सब जन प्रमोद दर्शन हेतु इंतजार में है जैसे कि पवित्र बाइबल में कहा गया है देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इमानुएल रखा जाएगा जिसका अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ हैं। 

ऐसे तो क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या यानी 24 दिसंबर को मध्य रात्रि में संपूर्ण ईसाई समुदाय द्वारा गिरजाघर में प्रभु की स्तुति एवं आराधना की जाती है ईसाई समुदाय का यह विश्वास है कि संसार के मुक्तिदाता ईसा मसीह 24 दिसंबर की मध्य रात्रि में मानव रूप धारण किया है। 

इसलिए मध्य रात्रि में ही उनके आगमन के समय पूजा विधि मिस्सा बलिदान संपन्न होती है और विशेष महिमा गाने एवं जयघोष के साथ गिरजा का घंटा बजाया जाता है जो कि अर्धरात्रि में प्रभु के जन्म एवं विशेष समारोह का प्रतीक है।

न्यूज़ बकेट पत्रकारिता कर रहे छात्रों का एक छोटा सा समूह है, जो नियमित मनोरंजन गपशप के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, इसके अलावा विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों में शामिल सौंदर्य, ज्ञान और अनुग्रह के ज्ञान का प्रसार करते हुए भारतीय समाज के लिए मूल्य का प्रसार करते हैं। 

Vikas Srivastava

Related articles