जानिए क्या है वीरशैव धर्म, 19 भाषाओं में एप्प के जरिये लांच होने वाले ग्रंथ का प्रधानमंत्री करेंगे उद्घाटन
वाराणसी। वाराणसी का सुप्रसिद्ध जंगमबाड़ी मठ का 100वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है और जंगमबाड़ी मठ में वीरशैव धर्म के लोगों द्वारा 40 दिवसीय समारोह मनाया जा रहा है।
16 फरवरी को 19 भाषाओं में इस धर्म ग्रंथ को एप्प के जरिये लांच किया जायेगा जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
इस धर्म के लोगों की जब मृत्यु होती है तो इन्हे दफनाया जाता है और उनके नाम से वाराणसी के जंगमबाड़ी मठ में एक शिवलिंग स्थापित किया जाता है। वीरशैव धर्म के लोगों का मानना है कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के जंगमबाड़ी मठ में शिवलिंग स्थापित करने से उनके पूर्वजों को मुक्ति की प्राप्ति होगी।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि वीरशैव धर्म दक्षिण भारत में लोकप्रिय है और यह धर्म हिन्दुओं के लिंगायत समुदाय का एक उपसम्प्रदाय है। वीरशैव धर्म एक शैव परम्परा है और शैवागमों पर आधारित है। यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है जिसके कर्नाटक में ज्यादातर उपासक है। वीरशैव धर्म एक ईश्वरी धर्म है जिसको तमिल भाषा में ‘शिवाद्वैत धर्म’ या ‘लिंगायत धर्म’ के नाम से जाना जाता है और उत्तर भारत में इसे शैवागम के नाम से जाना जाता है।
सिन्धु घाटी सभ्यता में वीरशैव धर्म के कई निशान मिलते है। इतिहासकारों के मताबिक 1700 ईसा पूर्व में वीरशैव अफगानिस्तान, पंजाब, हरियाणा और कश्मीर में आकर बसे और वीरशैव के विद्वानों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वैदिक मंत्रो की संस्कृत में रचना करने लगे।
वीरशैव धर्म में सर्वोच्च ग्रंथ ‘श्रुति’ और ‘शैवागम’ जैसे ग्रंथ है और इसमें 28 शैवागम आते है। शैवागम को श्रवण परम्परा के अनुसार गुरु द्वारा शिष्यों को दिया जाता है। हर एक शैवागम में चार भाग होते है। शैवागम को छोड़कर सभी ग्रंथ प्रस्थान त्र्य कहे जाते है।
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