हेल्थ वर्कर को सैलरी न देना कानूनी अपराध : सुप्रीम कोर्ट
देशभर में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है ऐसे में इन मरीजों के इलाज में लगे हेल्थ वर्कर की अहम भूमिका सामने आयी है। अपने घर परिवार को छोड़ दिन रात मरीजों की देखभाल करने के साथ साथ कई हेल्थ वर्कर खुद इस महामारी की चपेट में आ चुके है।
ऐसे में इन हेल्थ वर्करों को समय से वेतन नहीं मिलने की शिकायत कई जगहों से आ रही है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक देश में अब हेल्थ वर्कर को वेतन न देना कानूनी अपराध माना जायेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ये फैसला दिया। दरअसल कई सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों को कई महीने से वेतन न मिलने पर जनहित याचिका दायर की गयी थी जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हेल्थ वर्करों के हित में फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि कई सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और नर्सों को कई महीने से सैलरी नहीं दी गई है, फिर भी वो कोरोना के काम में लगे हुए हैं।
साथ ही इन हेल्थ वर्कर को कोरोना से जुड़ी कई तरह की सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि देशभर में डॉक्टरों और नर्सों को जल्द बकाया सैलरी दी जाए। साथ ही अस्पताल के पास ही उनके लिए क्वारंटाइन की सुविधा दी जाए।
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार अपनी तरफ से बेहतर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कई चीजें राज्यों के अधीन है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि इस बाबत सभी राज्यों को आदेश जारी किया जाए।
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