वाराणसी में भी होती है मोती की खेती
वाराणसी। वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक स्थित नारायणपुर गांव में नौजवानों का उत्साहपूर्ण कार्य आज पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक मिसाल पेश कर रहा हैं।
ऐसी कहावत है कि जिनमें आत्मनिर्भर बनने की चाहत होती है तो वह अपने पैरों पर खड़े हो ही जाते है।
वाराणसी में बड़ी बडी नौकरिया को छोड़कर आए युवा श्वेताक पाठक ने अब तक 30 लोगों को आत्मनिर्भर बनाया।
श्वेतांक पाठक का कहना है कि पारम्परिक खेती जैसे ज्वार, मक्का, अरहर, सरसों, आदि से अलग कुछ किया जाए।
इसी उदेश्य को लेकर हमने मोती कि खेती कि शुरुआत की जिसके लिए जमीन में गड्ढे की खुदाई की और इसकी लागत लगभग 30हजार रुपये की है और इसकी पैदावार बारह से तेरह महीने में होती है।
जिसके लिए श्वेतांक पाठक ने भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र शहंसापुर से ट्रेनिंग भी ली है और इसकी प्रेरणा से गांव में लगभग 30से300लोगों को प्रेरित कर व्यवसाय में लायेंगें।
इसके साथ मधुमक्खी पालन, मसरुम की खेती, बर्मिकम्पोस्ट यूनिट बनाने की भी शुरुआत बड़े पैमाने पर करने की चाह हैं।
न्यूज़ बकेट पत्रकारिता कर रहे छात्रों का एक छोटा सा समूह है, जो नियमित मनोरंजन गपशप के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, इसके अलावा विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों में शामिल सौंदर्य, ज्ञान और अनुग्रह के ज्ञान का प्रसार करते हुए भारतीय समाज के लिए मूल्य का प्रसार करते हैं।