नाग पंचमी विशेष: कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए वाराणसी का नाग कुआँ मंदिर है प्रसिद्ध
वाराणसी। नाग पंचमी हिन्दू धर्म में एक प्रमुख तिथि है। इस दिन भगवान शंकर के गले के हार यानी कि नाग की पूजा होती है।
हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग इस दिन नाग को दूध पिलाते हैं। भगवान शंकर के मंदिर में भी दूध चढ़ाया जाता है।
इस साल 2021 में नाग पंचमी 13 अगस्त को है। इस दिन नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी का दिन उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखता है जिनके कुंडली में कालसर्प दोष होता है।
कालसर्प दोष वाले लोग इस दिन नाग की पूजा करते हैं। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा कराई जाती है।
मंदिरों और घाटों के शहर वाराणसी में एक सदियों पुराना मंदिर है जहां कालसर्प दोष की विधिवत पूजा कराने की परंपरा है।
इसका नाम है नाग कुआँ मंदिर। वाराणसी के जेतपुरा में यह प्राचीन मंदिर स्थित है।
मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन कुंड भी है।
जिस किसी व्यक्ति को कालसर्प दोष होता है वह नाग पंचमी के दिन जेतपुरा के इस मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना करता है।
साथ ही मंदिर के कुंड में नाग देवता को दूध भी पिलाया जाता है।
ऐसी मान्यताएं हैं कि नाग कुआँ मंदिर में नाग पंचमी के दिन विधिवत पूजा करने से जातक की कुंडली से कालसर्प दोष मिट जाता है।
मंदिर के आचार्य कुंदन पांडेय के अनुसार “यह मंदिर लगभग एक हजार वर्ष पुरानी है।” आचार्य कुंदन पांडेय ने बताया कि “यह स्थान महर्षि पतंजलि की तपोस्थली है, जो भगवान शेषनाग के अवतार थे। उनके द्वारा स्थापित इस कुंड के तल में एक शिवलिंग भी है। लोग यहाँ दर्शन पूजन करने आते हैं और कुंड में दूध-लावा भी चढ़ाते हैं। यहां दर्शन करने से जिस जातक को कालसर्प दोष होता है उसे इस दोष से मुक्ति मिलती है। यह स्थान विशेषतः कालसर्प दोष की पूजा के लिए उपयुक्त है।”
क्या होता है कालसर्प दोष:
हिन्दू धर्म के ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु-केतु को सांप का मुंह और पूंछ माना जाता है।
जब जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच अन्य सारे ग्रह आ जाएं तो उसे कालसर्प दोष माना जाता है।
यह कालसर्प योग कहा जाता है। जिससे मुक्ति के लिए नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा की मान्यता है।
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में 12 प्रकार के कालसर्प योगों का वर्णन किया गया है।
अनन्त, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटिक, शंखचूड़, घातक, विषाक्तर और शेषनाग बारह प्रकार के कालसर्प योग हैं।
वाराणसी के जेतपुरा का नाग कुआँ मंदिर इस विशेष दोष की मुक्ति और शांति के लिए विशेष महत्व रखता है।
हर साल नाग पंचमी के अवसर पर दर्शनार्थियों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
लेकिन इस साल कोरोना महामारी और बाढ़ की विभीषिका के चलते उम्मीद की जा रही है पूजा करने वालों की संख्या प्रभावित होगी।