नाग पंचमी पर नाग कुआँ मंदिर में लगा भक्तों का तांता, दर्शन मात्र से मिलती है काल सर्प दोष से मुक्ति
वाराणसी। नाग पंचमी हिन्दू धर्म में एक प्रमुख तिथि है।
इस दिन भगवान शंकर के गले के हार यानी कि नाग की पूजा होती है।
हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग इस दिन नाग को दूध पिलाते हैं।
भगवान शंकर के मंदिर में भी दूध चढ़ाया जाता है।
कालसर्प दोष वाले लोग इस दिन नाग की पूजा करते हैं।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा कराई जाती है।
मंदिरों और घाटों के शहर वाराणसी में एक सदियों पुराना मंदिर है जहां कालसर्प दोष की विधिवत पूजा कराने की परंपरा है।
इसका नाम है नाग कुआँ मंदिर।
वाराणसी के जेतपुरा में यह प्राचीन मंदिर स्थित है।
मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन कुंड भी है।
जिस किसी व्यक्ति को कालसर्प दोष होता है वह नाग पंचमी के दिन जेतपुरा के इस मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना करता है।
साथ ही मंदिर के कुंड में नाग देवता को दूध भी पिलाया जाता है।
ऐसी मान्यताएं हैं कि नाग कुआँ मंदिर में नाग पंचमी के दिन विधिवत पूजा करने से जातक की कुंडली से कालसर्प दोष मिट जाता है।
इस कुंड का नाम नागकूप है जहां दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिलती हैं।
वाराणसी के इस नागकूप में आज सुबह से ही नागपंचमी के अवसर पर भक्तों का तांता लगा हुआ है।
सुबह से ही भक्त कूप में दूध चढ़कर नाग देवता को खुश करने को आतुर हैं।
अपने पापों व काल सर्प दोष की मुक्ति के लिए यहां सुबह से ही पूजा पाठ कर रहे हैं।
हिन्दू मान्यता के अनुसार कर्कोटक नाग तीर्थ के नाम प्रसिद्ध इसी जगह पर शेषावतार (नागवंश) के महर्षि पतंजलि ने व्याकरणाचार्य पाणिनी के भाष्य की रचना की थी।
वहीं एक और मान्यता के अनुसार मान्यता यह भी है की इस कूप का रास्ता सीधे नाग लोक को जाता है।
पूरे विश्व में काल सर्प दोष की सिर्फ तीन जगह ही काल सर्प दोष की पूजा होती हैं उसमे से ये कुंड प्रधान कुंड हैं।
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