वाराणसी के मंगला गौरी सिद्ध पीठ का तीज पर है विशेष महत्व, दर्शन मात्र से होती है अमर सुहाग की प्राप्ति   

वाराणसी के मंगला गौरी सिद्ध पीठ का तीज पर है विशेष महत्व, दर्शन मात्र से होती है अमर सुहाग की प्राप्ति   

वाराणसी। तीज के पर्व का सभी महिलाओं को बेसबरी से इंतज़ार रहता है। महिलाएं इस पर्व को बड़े ही भक्ति के साथ मानती हैं। इस दिन महिलाओं द्वारा निर्जला उपवास रखने की प्रथा है। सुहागिन औरतें इस दिन पति की लम्बी आयु और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती हैं तो वहीं कुँवारी कन्याएं इस व्रत को अच्छे पति की चाह में रखती हैं। पौराणिक मान्यताओं की अनुसार माता पार्वती को इसी व्रत के फल स्वरूप भगवान शिव की प्राप्ति पति के रूप में हुई थी। 

वाराणसी में आज के दिन मां मंगला गौरी का दर्शन पूजन करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि हरतालिका तीज के दिन यदि सुहागिन महिलाएं मां पार्वती का दर्शन कर के निर्जला व्रत रखती हैं तो उनके पति की लम्बी आयु होती है। महिलाओं के बीच 16 श्रृंगार का खास महत्व होता है। आज तीज के अवसर पर व्रती महिलाएं मंगला गौरी को 16 प्रकार के सिंगार की वस्तुओं को चढ़ती हैं और माता गौरी के जैसे ही अमर सुहाग की कामना करती हैं।

मां मंगला गौरी मंदिर के महंत पंडित नारायण जी ने बताया कि यह काशी गांव का शिखर है। आनंदवन और कोटिकवन उसकी चोटी हैं, यहां सूर्य भगवान ने तपस्या थी। सूर्य द्वारा स्थापित माता मंगला गौरी व कमकेश्वर महादेव का मंदिर सिद्ध पीठ है। आज के दिन हरतालिका व्रत पर मां पार्वती व शिव का पूजन दर्शन किया जाता है।


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Vikas Srivastava

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