जानें कोरोना वैक्सिन से कितनी दूर है दुनिया
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रसार और इस महामारी के कारण लोगों की हो रही मौतों से पूरी दुनिया दहशत में है। कोरोना वैक्सिन को लेकर दुनिया भर में प्रतिद्वंदिता का मौहाल बना है। सभी देश कोरोनावायरस की होड़ में लगे हुए है।
रूस ने 12 अगस्त को ही Sputnik-V को दुनिया की पहली कोरोना वैक्सिन घोषित कर रजिस्ट्रेशन करा लिया है मगर WHO इस मानने को तैयार नहीं है।
दुनियाभर में वैक्सीन बनाने की कई योजनाओं पर काम चल रहा है, लेकिन इस रेस में सबसे आगे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को माना जा रहा है।
ड्रग ट्रायल्स को ट्रैक करने वाली एयरफिनिटी नाम की एक कंपनी के मुताबिक, सितंबर के मध्य तक एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से जुड़ा परिणाम सामने आ सकता है कि वो कोरोना वायरस से लोगों को बचाने में कारगर है या नहीं।
एक जानकारी के अनुसार इस कंपनी ने इस महीने के अंत तक ब्रिटेन को 30 मिलियन यानी तीन करोड़ वैक्सीन की खुराक देने का वादा किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये एलान किया था कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन परीक्षण के तीसरे चरण में पहुंच गई है और वह उन वैक्सीन्स की सूची में शामिल हो गई है, जिसका इस्तेमाल बहुत जल्द कोरोना से लड़ने में किया जाएगा।
अमेरिका में एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार की जा रही कोरोना वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में पहुंच गया है। कंपनी के मुताबिक, अमेरिका में कुल 80 जगहों पर 30 हजार स्वयंसेवकों पर इसका परीक्षण चल रहा है।
कोरोना वैक्सिन के अंतिम चरण के ट्रायल में पहुंचने वाली अन्य कंपनियों में मॉडर्ना और फाइजर भी हैं। हाल ही में मॉडर्ना इंक ने यह दावा किया था कि उसकी वैक्सीन बुजुर्गों पर भी उतनी ही प्रभावी है, जितनी कि युवाओं पर। बुजुर्गों पर किए गए ट्रायल में इसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं।
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