रूस से भारत आएगी कोरोना वैक्सिन, रूस से क्लिनिकल ट्रायल से जुड़ी जानकारी भारतीय दूतावास ने मांगी
12 अगस्त को रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन कराया और अब यह वैक्सीन भारत आने की तैयारी में है। भारतीय दूतावास ने क्लिनिकल ट्रायल से जुड़ी जानकारी रूस से मांगी है।
रूस के द्वारा बनाई गई दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन को 1957 में छोड़े गए दुनिया के पहले मानव निर्मित उपग्रह का नाम दिया है। रूस ने इस वैक्सिन को स्पूतनिक-V का नाम दिया है।
भारत में बढ़ते हैं कोरोना के मरीजों की संख्या को देखते हुए भारतीय दूतावास ने वैक्सीन से जुड़े फेस-1 और फेस-2 के क्लीनिकल ट्रायल से जुड़ा डाटा मुहैया कराने की मांग की है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि रूसी वैक्सीन के रिसर्च और ट्रायल की फंडिंग रशियन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट फंड (RDFI) ने की है। इसी कंपनी के पास एक्सपोर्ट और मार्केटिंग का अधिकार भी प्राप्त है।
भारतीय कंपनियों ने RDFI से फेस-1 और फेस-2 के क्लीनिकल ट्रायल की तकनीकी जानकारी मांगी है।
गौरतलब हो कि डब्ल्यूएचओ लगातार इस रूसी वैक्सीन पर सवाल उठाए जा रहा है। दरअसल इस वैक्सीन के दो चरण का ही ट्रायल होने पर डब्ल्यूएचओ लगातार सवाल उठा रहा है क्योंकि इस वैक्सिन के तीसरा चरण से पहले ही रूस ने इसकी सफलता का ऐलान कर दिया था।
स्पूतनिक-V वैक्सीन के विषय में रूस की न्यूज़ एजेंसी इंटरफैक्स ने रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि हाल ही में देश में इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो गया है और इस वैक्सीन का पहला बैच सरकार को मिल चुका है।
इस वैक्सीन को लेकर गमालेया इंस्टीट्यूट के मुताबिक दिसंबर और जनवरी तक हर महीने लगभग 50 लाख वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता हासिल हो जाएगी। रूस ने यह भी दावा किया है कि उन्हें दुनिया के कई देशों से इस वैक्सीन के आर्डर भी मिल चुके हैं।
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