मां के आंचल से क्यों मिली जुदाई?
बलिया। आपने फिल्मों में तो देखा होगा कि मंदिरों की सीढ़ियों पर नवजात शिशु को छोड़ दिया जाता है और फिर उसे मां बाप मिल जाते हैं। ऐसे ही कुछ घटना देखने को मिली यूपी बलिया जिले में, जहां मंदिर के पास रोते बच्ची की आवाज सुनकर दर्शन करने वाले लोग हैरान और परेशान हो गए।
बच्ची की आवाज सुनकर लोग बच्ची को खोजने लगे। लोगों ने देखा कि प्रभु के मंदिर में ममता के आंचल से बिछड़ कर एक बच्ची चीख चीख कर रो रही है। जब बच्ची अपनों से दूर हो चुकी थी तब इसे अपनों का सहारा देने के लिए वहां खड़े एक श्रद्धालु ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रभु के चरण से मिले उस बच्ची को एक मां की गोद में डाल दिया।
फिल्मों में तो आपने देखा और सुना ही होगा लेकिन असल जिंदगी में भी ऐसा देखने को मिलता है जब कोई मां इतनी कठोर हो जाती है कि 9 महीने गर्भ में रखने के बाद भी जब बच्चा जन्म लेता है और उस वक्त अपने आंचल से छुड़ाकर मंदिर की सीढ़ियों पर छोड़ देना। यह मां के लिए बच्ची मुसीबत का कारण थी या समाज के लोक लाज के कारण ऐसा करना पड़ा।
फिलहाल यह बच्ची किस्मत का धनी निकली और इसे एक मां की आंचल तो मिल गया लेकिन ऐसे लोगों के लिए समाज के लोग इन्हें कई ऐसे नामों से बुलाते हैं जिन्हें हम तो ना दिखा सकते हैं और ना ही चर्चित कर सकते हैं।
इस मासूम के रोनें की आवाज़ जैसे लग रहा था कि ईश्वर नें सून ली हो। मासूम को रोता देखकर कई लोगों ख़ास तौर पर वहां मौजूद औरतों की आँखे भर आई। उसी में से एक दम्पति नें कहा इस मासूम बच्ची को हम अपनी गोद में पालेगें, हम इसे अपनी आंचल का साया देंगे और गोद मे ले लिया। महिला जैसे कह रही हो कि मेरी बच्ची मैं हूँ न, मैं अपनी ममता के सागर से तूझे परवान चढ़ाउंगी, मैं तुम्हारी परवरिश करूंगी आज से मैं तुम्हारी माँ हूँ।
कई और दम्पतियों नें इस बच्ची को लेना चाहा पर तभी यह सूचना बलिया के जापलिनगंज चौकी इंचार्ज तक पहुंच गई। बिना समय गवांये चौकी इंचार्ज नें बच्ची को अपने कब्जे मे ले लिया और मेडिकल प्रशिक्षण के लिए अस्पताल भेज दिया ।
अब यह फैसला करना पुलिस के लिए भी मुश्किल हो रहा था कि बच्ची एक है, और गोद लेनें वाले उम्मीदवारों की संख्या ज़्यादा है और यह भी देखाना ज़रूरी था कि किसी गलत हाथ में बच्ची न पड़ जाए। फिर इंसान होंनें के नाते यह भी देखना है कि किसे इस बच्ची कि ज्यादा ज़रूरत है। कौन इस मासूम कि अच्छी परवरिश कर सकता है!
“न्यूज़ बकेट पत्रकारिता कर रहे छात्रों का एक छोटा सा समूह है, जो नियमित मनोरंजन गपशप के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. इसके अलावा विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों में शामिल सौंदर्य, ज्ञान और अनुग्रह के ज्ञान का प्रसार करते हुए भारतीय समाज के लिए मूल्य का प्रसार करते हैं।”