बाबा महाशमशान ने खेली चिता भस्म से होली, इसके आगे कोरोना वायरस भी हुआ फेल
वाराणसी। दुनिया में सिर्फ काशी ही एक स्थान है जहां लोग मौत को भी उत्सव के रूप में मनाते है। जी हां अपने सही सुना काशी में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मोक्ष दायिनी गंगा के तट पर स्थित महाश्मशान घाट पर चिता के भस्म से होली खेली जाती है।
ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी को माता पार्वती का गौना कराकर वापस लाते है और दूसरे दिन भगवान शिव भूत-प्रेत और गणों के साथ चिता के भस्म के साथ होली खेलते है और आज के दिन लोग जलती चिताओं के बीच बड़े ही धूम धाम से यह अनोखी होली खेलते है।
आज के दिन बाबा महाश्मशान का विधिवत श्रृंगार कर रंग गुलाल के साथ चिताओं की राख से होली खेलने की परंपरा सदियों से अनवरत चली आ रही है।
बाबा महाकाल को लेकर कही गयी कहावत ‘अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का’ साकार होती देखी जाती है।
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