एक शख्स जो 17 सालों से पेश कर रहा है आत्मनिर्भरता की मिशाल
वाराणसी। कोरोना के साथ लगातार हो रही जंग के दौरान प्रधानमंत्री ने देश की जनता से आत्मनिर्भर बनने की बात कही है। परिस्थितयों के आगे लाचार भारत में अभी भी कुछ लोग ऐसे है जो आत्मनिर्भरता के दम पर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे है।
ये कहानी है वाराणसी के सारनाथ के इलाके हिरामनपुर गांव के निवासी जितेंद्र वर्मा की, जो 17 सालों से खड़े नहीं हो। बिस्तर पर लेटे लेटे ही अपना और अपने परिवार का खर्च चला रहे है। जितेंद्र वर्मा बिस्तर पर लेटे लेटे सिलाई मशीन से कपडे सिलने का काम करते है।
17 साल पहले छत से गिरने के कारण उन्हें स्पाइन इंजरी हुयी जिसके बाद वो आज तक खड़े नहीं हो पाए। डाक्टरों ने भी कहा कि वो अब खड़े नहीं हो पाएंगे। हॉस्पिटल से घर आने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी को नई दिशा की ओर मोड़ा और हिम्मत का परिचय देते हुए अपना काम फिर से शुरू किया।
इस बार अंतर बस इतना था कि पैरों से सिलाई मशीन का काम करने वाले जितेंद्र ने हाथों का सहारा लिया और बिस्तर पर लेटे लेटे ही सिलाई शुरू कर दी। विषम परिस्थितियों में भी आत्मनिर्भर होने बनने वाले जितेंद्र की कहानी उन लोगों के लिए एक मिशाल है, जो परेशानियों से डरकर गलत कदम उठा लिया करते है।
जितेंद्र के घर वालों का कहना है कि जब उनके साथ दुर्घटना हुयी तो किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी कि वो इस कदर अपने अवसाद से उभरकर मिशाल पेश करेंगे।
जिंदगी के साथ हो रही लड़ाई में जितेंद्र का सबसे बड़ा सहारा उनकी पत्नी ज्योति वर्मा बनी जिन्होंने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि शुरुवाती दिनों में उन्हें आहूत पेरशानी झेलनी पड़ी। पति के इलाज के लिए गहने तक बेचने पड़े मगर उन्होंने ने भी हार नहीं मानी और अपने पति की सेवा करती रहीं।
फिलहाल कुछ समाजसेवी संस्थाओं की मदद से जितेंद्र को सरकार की ओर से मोटराइज्ड ट्राई साईकिल मिली जिसके जरिये वो बाहर निकले और कारीगरों और अपने परिचितों के माध्यम से रोजगार को फिर से शुरू किया।
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