आज होगी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण पर सुनवाई

आज होगी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण पर सुनवाई

वाराणसी के बहुचर्चित काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद केस के मामले में मस्जिद पक्ष बजाय कोर्ट में डटकर खड़े रहने के एक बार फिर अगली तारीख के लिए प्रार्थना पत्र दे दिया था ।

जिस पर कोर्ट ने 5 अगस्त यानी आज की तारीख नियत की है।

दरअसल वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की ओर से ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था।

जिसके खिलाफ जिला जज की अदालत में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और यूपी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ ने आदेश के खिलाफ रिवीजन दाखिल किया था।

जिसके जवाब में 63 पन्नों की आपत्ति वाले शपथ पत्र को मंदिर पक्ष की ओर से कोर्ट में दाखिल किया गया था।

जिसका जवाब कल मस्जिद पक्ष को देना था, लेकिन बजाए जवाब के उन्होंने और समय मांगा है।

जिस पर कोर्ट ने 5 अगस्त की अगली तारीख तय की थी। 

इस बारे में और जानकारी देते हुए प्राचीन मूर्ति स्वयंभू विशेश्वर के बाद मित्र यानी काशी विश्वनाथ मंदिर के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने 8 अप्रैल 2021 को पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था।

उसी से छुब्ध होकर के अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और यूपी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ के द्वारा अलग-अलग दो सिविल रिवीजन फाइल किए गए थे जनपद न्यायाधीश वाराणसी के न्यायालय में।

जिसमें दाखिल स्टे एप्लीकेशन के विरुद्ध मैंने बहुत लंबा चौड़ा जवाब दाखिल किया था।

इसमें पूर्व में भी मस्जिद पक्ष के लोगों ने समय लिया था और ऐसा लगता है कि इन लोगों की हिम्मत जवाब देने की नहीं हुई।

इन लोगों ने दोनों सिविल रिवीजन में प्रार्थना पत्र देकर के फिर से अदालत के समय मांगने की गुजारिश की।

जिस पर न्यायालय जनपद न्यायाधीश के द्वारा 5 अगस्त 2021 की तिथि नियत करके मस्जिद पक्षकारों को समय दिया गया है।

मंदिर के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि पुरातात्विक सर्वेक्षण के जरिए सच सामने न आने पाए यही मस्जिद पक्ष के लोग चाहते हैं।

लेकिन एक इंडिपेंडेंट बॉडी जांच करके अपनी रिपोर्ट न्यायालय के सामने दे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी न्यायालय से समक्ष आ जाए कि मस्जिद गलत है।

इसलिए वह रिपोर्ट आने नहीं देना चाहती और सिर्फ अड़ंगेबाजी कर रही है।

ज्ञात हो कि बीते दिनों काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में गैर विवादित अंजुमन जामिया मसाजिद कमेटी की 1700 स्क्वायर फीट की जमीन का भी विनिमय मसाजिद कमेटी की ओर से काशी विश्वनाथ मंदिर को 1000 स्क्वायर फीट जमीन के बदले कर दिए जाने की रजिस्ट्री को भी वकील विजय शंकर रस्तोगी ने गलत बताया और इसे अदालत में ले जाकर चुनौती भी देने की बात कही।

उन्होंने बताया कि हिंदू पक्ष में पंडित सोमनाथ व्यास ने 1990-91 के दशक में वाराणसी जिला प्रशासन की सुरक्षा के मद्देनजर स्थान दिया था मौखिक लाइसेंस पर।

जिसके बाद जिला प्रशासन ने वहां कंट्रोल रूम बना लिया था, लेकिन प्रशासन में भी कुछ ऐसे तत्व बैठे हुए हैं जो मुसलमानों का पक्ष ले रहे हैं और गलत और फर्जी कागजात बना रहे हैं।

वकील विजय शंकर रस्तोगी ने दावा किया कि मस्जिद की ओर से विनिमय की हुई जमीन जिस पर कंट्रोल रूम बना था वह मस्जिद की नहीं है बल्कि हिंदुओं की और स्वयंभू विशेश्वर मंदिर की संपत्ति है।

लेकिन वर्तमान जिला प्रशासन ने तथ्यों को छिपाते हुए उस जमीन को वक्फ की बताकर विनिमय किया है और उसके बदले करोड़ों की संपत्ति मस्जिद को दे दिया है।

यह कार्य बिल्कुल गलत है और धारा 104A वक्फ अधिनियम 1994 का प्रावधान है कि इस तरह का एक्सचेंज और गिफ्ट डीड नहीं किया जा सकता है।

अगर किसी ने कर दिया है तो वह व्यर्थ है और शून्य है। वक्फ इसकी इजाजत नहीं देता है। अब इसको हम कोर्ट में चैलेंज करेंगे।


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Vikas Srivastava

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