रेप की बढ़ती वारदातों की वजह कहीं टीवी सीरियल और स्मार्टफोन तो नहीं ?
हमारे समाज में यह क्या हो रहा है? दिन पर दिन महिलाओं और बच्चियों से रेप के मामले बढ़ते जा रहे हैं। महिला अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानून होने के बावजूद रेपिस्ट महिलाओं को तो दूर बच्चियों, बुजुर्गों व मनोरोगियों को भी नहीं बख्श रहें।
मामले में हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है कि कहीं टीवी सीरियल और स्मार्ट फोन तो नहीं देश में लगातार हो रही रेप की बढ़ती घटनाओं की वजह?
आखिर यौन अपराधों के प्रति समाज क्यों उदासीन है? अत्याधुनिक तकनीक के युग में जब एक तरफ देश आर्थिक विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं और बच्चों के प्रति दिन-प्रतिदिन अपराध में खतरनाक तरीके से वृद्धि हो रही है। ये आंकडे़ समाज की बेहद गंभीर स्थिति को बयां कर रहे हैं।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इंटरनेट और स्मार्टफोन के माध्यम से पोर्न की आसानी से उपलब्धता की वजह से तो रेप की घटनाओं में इजाफा नहीं हो रहा? साथ ही पूछा कि कहीं आजकल चल रहे टीवी सीरियल व फिल्मों से महिलाओं और बच्चियों से यौन अपराध के लिए युवाओं को प्रेरणा तो नहीं मिल रही? हाईकोर्ट ने 22 सवाल हरियाणा, पंजाब और यूटी के गृह सचिव के सामने रखे हैं। मामले का संज्ञान लेते हुए जस्टिस दया चौधरी ने इसे चीफ जस्टिस को भेज दिया है, ताकि जूडिशियल साइड पर सुनवाई हो सके।
जस्टिस दया चौधरी ने कहा कि कातिल तो शरीर को नष्ट करता है, लेकिन रेपिस्ट रेप पीड़िता की आत्मा को तबाह करके रख देता है। रेप पीड़िता की कई मामलों में हत्या इसलिए कर दी जाती है, ताकि कोई सबूत ना बचे। रोज 55 महिलाओं की आबरू तार-तार कर दी जाती है और साल भर में आंकड़ा 20 हजार के पार होता है।
महिलाओं और बच्चियों के प्रति यौन अपराध बढ़ने के क्या कारण हैं?
ऐसे अपराधों के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए डीएनए, फिंगरप्रिंट जैसी आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। क्यों नहीं केंद्र व राज्य सरकार मिल कर सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाते, जिससे आरोपियों को पहचान कर उन्हें सजा दिलाई जा सके। क्या यह सच है कि समाज और परिवार के दबाव तथा बदनामी के डर से ज्यादातर रेप के केस दर्ज ही नहीं करवाए जाते?क्यों नहीं हर स्कूल में या पांच स्कूलों को मिलाकर एक काउंसलर नियुक्त किया जाता जो इस प्रकार की प्रवृत्ति वाले बच्चों की पहचान करे और उस मानसिकता को दूर करने के लिए काउंसलिंग दें।