किसानों द्वारा पराली जलाए जाने के मामले में कृषि मंत्री का बड़ा बयान
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर इसके पीछे किसानों द्वारा पराली जलाए जाने के मामले में कृषि मंत्री ने वाराणसी में एक बड़ा बयान दिया उन्होंने इस विषय पर कहा कि प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहराया जाना गलत है।
कृषि मंत्री के अनुसार सरकार प्रदूषण के रोकथाम की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन, पराली जलाए जाने से प्रदूषण हो रहा है ये भी गलत नही है। ऐसा करने वाले सभी किसान को रोका जा रहा और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक पराली जलाए जाने से जितना प्रदूषण हो रहा है, वह सिर्फ इसकी वजह से नहीं हो रहा है। पराली के बारे में बस गलत धारणा आम जन में फैला दी गई है। जबकि, यह सिर्फ सीजनल और टेंपरेरी वर्क है।
बावजूद, इसके उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले 3 सालों से लगातार प्रयास किया है कि उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जाए और इसके लिए हम लोगों ने जो कंबाइन काटने का काम करते हैं उनको एक्स्ट्रा रीपर कंपाइंडर के साथ अनिवार्य कर दिया गया है। जिसकी वजह से अब वह बिना बाइंडर के नहीं चल सकते किसानों ने जिस कुछ जगहों पर घटनाएं आई हैं उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई है उनसे जुर्माना भी लिया गया।
इसके अलावा हमने किसानों को 80% अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए थे और इस साल भी उपलब्ध कराएंगे 10 नवंबर तक यह प्रक्रिया जारी थी।
इसके लिए हम लोग जो पराली व कृषि के अंदर अवशेष हैं उनको जलाए जाने की जगह इसका इस्तेमाल खेती के कामों में और इसका कंपोस्ट बनाए जाने की दिशा में कार्य हो, इस दृष्टि से हम प्रयासरत्त हैं।
सरकार की ओर से लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जाता रहा है। शिक्षण संस्थानों में बच्चो को पेंटिंग व अन्य माध्यम से भी पराली जलाए जाने से होने वाले नुकसान और इससे मृदा की उपज शक्ति खत्म होने के नुकसान से जुड़ी जानकारी विस्तार से बताई जा रही है।
इसका उपयोग अगर किसान भाई अपनी खेती में ही करते हैं, तो इससे ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ने में सुविधा होगी और यह बायो कंपोस्ट के रूप में मिल सकेगा इसलिए उन्हें जागरूक किया जा रहा है।
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