यहां जलती चिताओं के बीच थिरकती हैं नगरवधुएं, काशी में बाबा महाश्मशान नाथ को करती है प्रसन्न

यहां जलती चिताओं के बीच थिरकती हैं नगरवधुएं, काशी में बाबा महाश्मशान नाथ को करती है प्रसन्न

वाराणसी। जहां पूरे साल मौत का मातम होता है वहां, एक शाम ऐसी भी होती है जब बाजे-गाजे पर नगरवधुओं के पांव थिरकते हैं। चैत्र नवरात्रि में वाराणसी के मशहूर महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर नगरवधुएं जलती चिताओं के बीच नृत्य करती है।  मान्यता है कि यहां नृत्य करने वाली नगरवधुएं को अगले जन्म में बेहतर जिंदगी मिलती है। मोक्षदायिनी मां गंगा के तट पर नगरवधुएं नृत्य कर बाबा श्मशान नाथ को प्रसन्न करती है ताकि उन्हें अगले जन्म में आम लोगों की तरह बेहतर जीवन जीने का मौका मिलें।

जानकारी के अनुसार राजा मानसिंह ने महाश्मशान घाट मणिकर्णिका पर मसान नाथ का मंदिर बनवाया था। पहले दिन संगीत की साधना के लिए राजा मानसिंह ने कई कलाकारों को निमंत्रण भेजा मगर कोई भी चिंताओं और मुर्दों के सामने प्रस्तुति देने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में संगीत का निमंत्रण नगरवधुओं को भेजा गया और पहली बार वो यहां आने को तैयार हो गयी। पूरे देश से आकर नगरवधुओं ने नृत्य किया। तभी से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है।

परम्परा की शुरुआत राजा मानसिंह ने 16वीं शताब्दी में की थी। नगरवधुएं मुक्ति के लिए यहां मसान नाथ मंदिर में पहले पूजन और बाबा को नृत्यांजलि समर्पित करती हैं। उसके बाद लोगों के सामने नाचती हैं।

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Vikas Srivastava

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