काशी की नगरवधुएं बैठी धरने पर, प्राचीन परंपरा को बचाने के लिए पीएम-सीएम से लगाई गुहार 

काशी की नगरवधुएं बैठी धरने पर, प्राचीन परंपरा को बचाने के लिए पीएम-सीएम से लगाई गुहार 

वाराणसी। दुनिया भर में काशी को मोक्ष की नगरी के नाम से जाना जाता है। दुनिया के कोने कोने से लोग काशी में अंतिम समय में प्रवास के लिए आते है और अंतिम समय में काशी में प्राण त्यागना चाहते है ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। काशी की संस्कृति और प्राचीन परम्पराएं दुनिया भर में मशहूर है।

लोग दूर दराज से इनका दीदार करने आते है। नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर काशी के मणिकर्णिका घाट पर नगरवधुओं के नृत्य की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर नगरवधुएं धधकती चिताओं के बीच महाश्मशान बाबा के समक्ष नृत्य करके उन्हें प्रसन्न करती है ताकि उन्हें इस किन्नर स्वरूप से छुटकारा प्राप्त हो सके। 

ये एक पौराणिक परम्परा है जिसकी रक्षा करने के लिए काशी के मणिकर्णिका घाट पर नगरवधुओं ने धरना देना शुरू कर दिया। नगरवधुओं ने हाथों में तख्ती लेकर पीएम मोदी और सीएम योगी से गुहार लगाई है। चैत्र नवरात्र की सप्तमी के दिन मणिकर्णिका घाट पर बाबा महाश्मशान नाथ के वार्षिक श्रृंगार का आयोजन सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है।

जहां धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं का नृत्य होता है। लेकिन अब बाबा महाश्मशान वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों ने अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा कर लिया है। जिसके कारण 378 साल से चली आ रही परम्परा पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में मणिकर्णिका घाट पर काशी की नगरवधुएं कार्यक्रम स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ धरने पर बैठ गई। नगरवधुएं हाथों में तख्तियां लिए हुई थी जिस पर लिखा था ‘नगरवधुओं की गुहार, पीएम मोदी जी व सीएम योगी जी बचा लीजिए काशी की प्राचीन परंपरा’।

आपको बता दें कि आगामी 8 अप्रैल को नगरवधुओं का नृत्य महाश्मशान पर होना है जहां अब लकड़ी व्यापारियों का अवैध कब्जा हो गया है। ऐसे में इस परंपरा के टूटने खतरा मंडरा रहा है। राजा मानसिंह द्वारा स्थापित बाबा मसाननाथ के दरबार में कार्यकम पेश करने के लिए उस समय की जानी-मानी नर्तकियों और कलाकारों को बुलाया गया था।

चूंकि मंदिर श्मशान घाट के बीचों बीच था, लिहाजा ख्यातिलब्ध कलाकारों ने इनकार कर दिया। राजा ने कार्यक्रम का ऐलान करवा दिया था। अब समस्या यह कि कार्यक्रम कैसे हो? तब नगरवधुओं को आमंत्रित किया गया। नगरवधुओं ने राजा मानसिंह का निमंत्रण स्वीकार किया और तब से यह परंपरा चली आ रही है। लेकिन यदि इस बार कार्यक्रम स्थल से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो सैकड़ों साल से चली आ रही प्राचीन परंपरा इस बार टूट सकती है।

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Vikas Srivastava

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