Varanasi में संसद की तरह चलेगी इस बार धर्म संसद की कार्यवाही
Varanasi. 25 नवंबर से 27 नवंबर तक बनारस के सीर गोवर्धन में देश में सनातनी परंपरा की दिशा सुनिश्चित करने के लिए आयोजित होने वाली धर्म संसद 1008 की कार्यवाही संसद एवं विधानमंडल की तरह चलेगी। धर्म संसद में चारों मठों के शंकराचार्यों के प्रतिनिधि सहित 99 देशों से धर्म प्रतिनिधि, 170 विद्वान, 8 अन्य धर्मों के लोग, 13 अखाड़ों के संत, 36 धर्मसेवा प्रमुख, 108 धर्माचार्य व संस्था प्रतिनिधि, प्रभारी व संयोजक तथा 36 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा एक-एक प्रतिनिधि 543 संसदीय क्षेत्रों का भी सम्मलित होगा।
तीन दिन तक चलेगी धर्म संसद की कार्यवाही
सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक तीनों दिन धर्म संसद की कार्यवाही की जाएगी। वहीं संतों-प्रतिनिधियों के व्याख्यान सहित सुझाव के मिनट भी नोट किए जाएंगे एवं मिनट्स जारी भी होंगे। जिसके बाद शंकराचार्य सहित अन्य विद्वानों का 4 से 6 बजे तक उद्बोधन होगा, जिसे सामान्य लोग भी सुन सकेंगे।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य करेंगे कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व
हम आपको बता दे कि इस बार संसदीय क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का मनोनयन आयोजन के लिए किया गया है। इन्हें चुनाव के माध्यम से भविष्य में हर संसदीय क्षेत्र में सुनिश्चित किया जाएगा। शारदा एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व जाएगा।
जनता की तरफ से एजेंडा रहेगा सुनिश्चित
बता दे कि जनता तथा उसके सदस्यों की तरफ से एजेंडा सुनिश्चित किया जाएगा एवं उस पर बातचीत होगी। सिर्फ इतना ही नहीं घाटों पर काउंटर बनाकर और ऑनलाइन के माध्यम से भी सुझाव मांगे जा रहे हैं। जनता द्वारा हिंदू समाज में व्याप्त विसंगतियों के बारे अभी तक सवाल किए गए हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा सवाल राम मंदिर सहित गो और गंगा से जुड़े हुए हैं।
धर्म संसद के नाम पर होता रहा है मजाक
धर्म संसद के आयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि धर्म संसद के नाम पर अभी तक मजाक होता रहा है। जब जहां मन किया वहीं पर धर्म संसद मंच लगाकर आयोजित कर ली गई। आगे कहा कि यदि संसद शब्द का उपयोग हुआ है तो उसका अर्थ निकलना चाहिए। एक ऐसा मंच जहां पर धर्म संसद हो और जिसमें धर्म के मुद्दों पर चर्चा की जाए। कहा की इस बार जो संसद का सत्र चलेगा वह लगातार गतिमान रहेगा।
100 करोड़ देशवासियों के लिए बनी है संस्था
यह संस्था 100 करोड़ देशवासियों के लिए बनाई जाएगी। जिसके अंतर्गत जो भी विषय आएंगे उस पर ही चर्चा की जाएगी। इसका कोई भी वास्ता धर्म या जाति से नहीं होगा। वहीं ठहरने के लिए कुछ लोगों के घरों सहित होटलों एवं मठों में का इंतजाम किया गया है।