कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह की रिहाई की पूरी कहानी
नक्सली के कैद से छूटे कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास ने गुरुवार शाम को कैद में रहने की सारी कहानी बयां की।
इस मामले में सरकार और नक्सलियों के बीच एक एक सीक्रेट डील हुयी थी, जिसमें जान के बदले जान की बात हुयी थी।
दरअसल सुरक्षाबलों से मुठभेड़ के बाद एक आदिवासी को सुरक्षा बल ने अपने कब्जे में ले लिया था और मध्यस्थों के जरिये पहले आदिवासी को नक्सली को हवाले किया गया उसके बाद राकेश्वर सिंह की रिहाई मुमकिन हो पाई।
नक्सलियों ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि सुरक्षाबलों ने कुंजम सुक्का नाम के एक आदिवासी को अपने कब्जे में लिया था।
नक्सलियों ने सरकार के सामने मांग रखी थी कि अगर सरकार निष्पक्ष मध्यस्थों के साथ कुंजम सुक्का को भेजें तो वे जवान को छोड़ देंगे।
जहां पर राकेश्वर सिंह को छोड़ा गया वहां 20 गांवों के 2 हजार से अधिक लोग मौजूद थे।
नक्सलियों ने पहले माहौल देखा और आश्वस्त होने के बाद ही जंगल में इशारा किया।
जिसके बाद 40 हथियारबंद नक्सली राकेश्वर सिंह को लेकर जंगल से बहार आये। इसकी कमान एक महिला नक्सली संभाल रही थी।
जवान को लाने के बाद नक्सलियों ने पत्रकारों का मोबाइल और कैमरा बंद करवा दिया।
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