अफ़ग़ानिस्तान में शहीद भारतीय इंजीनियर को नहीं मिला उचित सम्मान, विधवा पत्नी लगा रही गुहार
वाराणसी। अफ़ग़ानिस्तान के तालिबानी क्षेत्र में लगभग तेरह साल पहले एक भारतीय शहीद हो गया था। अफ़ग़ानिस्तान में साल 2008 में इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह शहीद हो गए थे। उन्हें भारत सरकार की ओर से मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया गया है। महेंद्र प्रताप सिंह की विधवा पत्नी उमा सिंह पिछले कुछ सालों से नेताओं और अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगा रही हैं। क्योंकि अब तक शहीद महेंद्र प्रताप सिंह की मूर्ति अब तक स्थापित नहीं हुई है और न ही उनके नाम पर तोरण द्वार की स्थापना की गई है।
शहीद महेंद्र प्रताप सिंह की विधवा पत्नी उमा सिंह अब तक कई बड़े अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा चुकी हैं। मूर्ति स्थापना और तोरण द्वार के लिए उमा सिंह कई जगह ज्ञापन दे चुकी हैं। यहां तक की मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी इस मसले पर ज्ञापन भी दिया जा चुका है।
महेंद्र प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के महमूरगंज क्षेत्र के निवासी थे। आज भी उमा सिंह और उनके बेटे निखिल सिंह महमूरगंज के शिवपुरा इलाके में रहते हैं। 18 अगस्त यानी बुधवार को एक बार फिर उमा सिंह जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंची। उमा सिंह ने जिलाधिकारी को इस संबंध मन एक बार फिर ज्ञापन सौंपा और मांग की है कि शहीद महेंद्र प्रताप सिंह की मूर्ति और उनके नाम पर तोरण द्वार की स्थापना की जाए।
उमा सिंह का कहना है कि इतने दिनों में सरकारें बदल गईं, अधिकारी बदल गए। लेकिन हमारे मामले पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
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