गंगा के बदले रंग को लेकर बनी जांच कमेटी, सैंपल की जांच जारी   

गंगा के बदले रंग को लेकर बनी जांच कमेटी, सैंपल की जांच जारी   

वाराणसी, गंगा में शैवाल के कारण वाराणसी में गंगा के बदले रंग का मामला गरमाया हुआ है।

पिछले 20 दिनों से गंगा का रंग हरे में तब्दील हो गया है।

गंगा नदी में शैवाल के कारण नाइट्रोजन और फास्फोरस का लेवल बढ़ गया है।

गंगा नदी में नाइट्रोजन और फास्फोरस के बढ़ने से ऑक्सीजन की कमी होने लगी है जो जलीय जंतु के लिए खतरनाक है।

साथ ही आम जनमानस के लिए भी गंगा में स्नान करना और आचमन करना भी खतरे से खाली नहीं है।

वहीं इस मामले को लेकर जिला अधिकारी द्वारा गठित किये गए जांच कमिटी द्वारा किये गए जांच में शैवाल के जमा होने के कारण का खुलासा हुआ है।

जांच में आये रिपोर्ट के अनुसार मिर्जापुर में गंगा के किनारे यानी आप स्टीम में बने एक पुराने एसटीपी के कारण गंगा का पानी हरा हुआ है जिसके कारण नदी में शैवाल इकट्ठा हुआ है।

मिली जानकारी के अनुसार एसटीपी को पुराने तकनीक से चलाया जा रहा है जो कि लीकेज करता है और सीवेज गंगा में जाता है यही कारण है कि डाउन स्ट्रीम यानी वाराणसी में गंगा के पानी में शैवाल जमा हो गए हैं ।

वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा वाराणसी की जनता से गंगा में आचमन और स्नान न करने की अपील की गयी है।

बीएचयू के इंस्टिट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल स्टडीज के प्रोफेसर कृपा राम के मुताबिक गंगा के ऊपर बना ये शैवाल सूर्य के रेडिएशन के खिलाफ एक कवच बना लेता है जिससे जल में बीओडी की कॉन्सन्ट्रेशन कम होने लगती है।

जिससे नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ जाती है।

इसी कड़ी में नमामि गंगे के रिसर्च अफिसर श्री नीरज गहलावत के नेतृत्व में रविवार को गंगा से पानी का सैंपल लेकर जांच की जा रही है।

वाराणसी के अस्सी और दशाश्वमेध घाट से गंगाजल का सैंपल लेकर जांच शुरू कर दी गयी है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्री कालिका सिंह,श्री एस के बर्मन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी श्री एम पी सिंह, नमामि गंगे काशी प्रांत के सहसंयोजक राजेश शुक्ला और नगर निगम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन नमामि गंगे के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा जांच जारी है। 


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Vikas Srivastava

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