सभी धर्मों का संगम है काशी, गंगा-जमुनी तहजीब की है मिसाल  

सभी धर्मों का संगम है काशी, गंगा-जमुनी तहजीब की है मिसाल  

वाराणसी। भगवान शंकर की नगरी काशी में सिर्फ घंटों और घड़ियालों की ही आवाज नहीं गूंजती बल्कि नमाज की रस्म को भी लोग बड़ी श्रद्धा से अदा करते है।

काशी में जहां गंगा घाटों पर हिन्दू स्नान करते हैं तो वहीं पीर फ़क़ीर भी नमाजी वजू करते हैं।

काशी अपने आप में ही एक अलग गंगा-जमुनी तहजीब के लिए दुनिया भर में मशहूर है। 

इसी वजह से मडुआडीह थाना अंतर्गत हज़रत ख्वाजा मेरुदीन दादर पीर की दरगाह पर सभी धर्मों के लोग 450 सालों से हाजिरी लगा रहे हैं। 

मंडुआडीह वाले पीर पर लोग बाकायदा कागज पर एप्लीकेशन लिखकर अपना दुख-दर्द साझा करते हैं।  

यहां मान्यता है कि यहां स्थित एक पुराने पेड़ पर लोग अपने मन की बात लिखकर एप्लीकेशन छोड़ जाते हैं।

पीर बाबा को एप्लीकेशन में पहले सलाम लिखा जाता है और फिर अपनी समस्या लिखते हैं। इस पेड़ पर अपनी बीमारी से मुक्ति से लेकर लोग अपने घरों की समस्याओं की बात लिखते हैं।

इतना ही नहीं बल्कि कई बार तो बच्चे तो स्कूल में छुट्टी के लिए एप्लिकेशन भी पीर के मजार पर डाल आते हैं। 

पीर बाबा से जुड़ा लोगों को भरोसा इतना है कि बनारस ही नहीं बल्कि दूर दराज से लोग अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं।

पीर बाबा के मजार पर सलाना उर्स का मेले के वक़्त तो महाराष्ट्र, कोलकाता, बिहार, आजमगढ़, गाजीपुर, प्रयागराज, समेत पूरे देश से लोग यहां पर आते हैं।

मन्नत पूरी होने पर यहां प्रसाद के तौर पर मिठाई चढ़ाने और भंडारा लगवाने की मान्यता है। मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा यहां चादर चढ़ायी जाती है। 

यहां के पेड़ से भी जुडी एक और कहानी भी है, जिसके अनुसार यह पेड़ 450 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसे अकबर के जमाने का माना जाता है।

इस पेड़ की  ऐतिहासिकता के बारे में कोई सबूत न होने के बावजूद भी इस पेड़ को पीर बाबा तक एप्लीकेशन पहुंचाने का यह खुला लेटर बॉक्स माना जाता है।


Click Here To Download – Magazine(PDF): News Bucket Magazine

Join Our WhatsApp Group: Click Here

न्यूज़ बकेट हिंदी मासिक पत्रिका एवं यूट्यूब पर विज्ञापन और अपने पते पर मैगज़ीन प्राप्त करने के लिए 9807505429, 8924881010, 9839515068 पर संपर्क करें।

Vikas Srivastava

Related articles