खिलौना व्यवसाइयों को भी मिले बुनकरों जैसी छूट

खिलौना व्यवसाइयों को भी मिले बुनकरों जैसी छूट

वाराणसी। लॉक डाउन का प्रभाव सभी उद्योग धंधों पर पड़ा है। ऐसे लघु और कुटीर उद्योग करने वाले छोटे व्यवसायी सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लघु और कुटीर उद्योग भी लॉक डाउन के कारण पूरी तरह से बंद है। छोटे व्यवसायी भुखमरी के कगार पर है। वाराणसी के कश्मीरी गंज इलाके में लकड़ी के खिलौनों का बड़ा कारोबार होता है।

विदेशों में कई जगह यहां के प्रसिद्ध खिलौनों को एक्सपोर्ट किया जाता है लेकिन लॉक डॉउन-4 में इस रोजगार को अभी तक कोई भी उचित आश्वासन नहीं मिला और ना ही आगे खुलने के आसार ही नजर आ रहे है। इस रोजगार को करने वाले व्यवसाइयों को कोई रास्ता नहीं दिख रहा।

इसी क्रम में लकड़ी उद्योग खिलौना व्यवसाय के अध्यक्ष गोदावरी सिंह ने अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री को इस रोजगार से जुड़े लोगों के स्थिति के विषय मे पत्र भेजकर अवगत कराया।

गोदावरी सिंह ने इस पत्र के जरिये मांग की है कि जल्द अगर इन रोजगार से जुड़े लोगों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद नहीं मिलेगी तो यह रोजगार पूरी तरीके से टूट जाएगा। लॉक डॉउन खुलने के बाद भी यह हुनर घरों में ही सिमट कर रह जाएगा।

फिलहाल तो इस पत्र का संज्ञान वाराणसी के सांसद ने ले लिया है। इस विषय मे कपड़ा उद्योग मंत्रालय ने सूची मांगी है कि कितने लोगों को आर्थिक मदद की जा सकती है।

लकड़ी के खिलौने को बनाने वाले लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने लघु और कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों की तरफ मदत के लिए हाथ तो बढ़ाया है मगर जमीनी स्तर पर कुछ विशेष लाभ नही मिला है। लकड़ी के खिलौनों का व्यवसाय बदहाली के कगार पर खड़ा है। दर्जनभर देशों में जाने वाले ये लकड़ी के खिलौने अब दुकानों और घरों में धूल फांक रहे है।

लकड़ी के कारोबार से जुड़े लोगों ने अपने मन की व्यथा बताते हुए सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार सरकार बुनकरों को बिजली में छूट देती है उसी प्रकार यदि लकड़ी के खिलौने बनाने वाले लोगों को बिजली और लकड़ी की खरीद में कुछ छूट दे तो उन्हें भी खाने कमाने के लिए दूसरी जगहों पर भटकना नही होगा।

व्यवसाइयों ने बताया कि पहले से ही लॉक डाउन की मार झेल रहा ये व्यवसाय अब खत्म होने की कगार पर है। इस व्यवसाय में लगभग 10 हजार लोग लगे हुए है और भारत से लेकर विदेशों तक इसकी महत्ता और मांग है।

यदि सरकार पर्याप्त मदत दे तो ये व्यवसाय पहले की तरह फल फूल सकता है।

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Vikas Srivastava

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