शारदीय नवरात्र का छठा दिन
वाराणसी। नवरात्रि के छठवें दिन देवी के छठवे स्वरूप ” देवी कात्यायनी ” की आराधना का विधान है।
मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना से रोगों में लाभ मिलता है और माता कुवांरी कन्याओं को मनचाहा वर प्रदान करती है। देवी कात्यायनी की पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
वाराणसी के मैदागिन स्थित संकटा जी के मंदिर के पीछे स्थित मां कात्यायनी का मंदिर आदि काल से यहीं पर स्थित है।
मां के दर्शन को भक्तों की भीड़ लगी होतो है मगर इस बार कोरोना काल में भक्त कम संख्या में दर्शन को पहुंच रहे है।
मंदिर के महंत रवि शंकर मिश्रा ने बताया कि मंदिर परिसर में माता रानी के अलावा आत्मा विरेश्वर का शिव लिंग है जिन्हें काशी विश्वनाथ की आत्मा के रूप में जाना जाता है।
इस मंदिर का ये भी माहात्म्य है कि यदि कुवांरी कन्याएं मंगलवार और बृहस्पति के दिन मां को हल्दी अर्पित करें जो जल्द ही विवाह होता है और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
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