राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर पढ़िए वाराणसी के हथकरघा बुनकरों की व्यथा

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर पढ़िए वाराणसी के हथकरघा बुनकरों की व्यथा

वाराणसी। प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है।

इस दिन सरकार देश के हथकरघा बुनकर समाज को सम्मानित करती है।

भारत के न सिर्फ आर्थिक विकास में बाल्की सामाजिक विकास में भी हथकरघा बुनकर समाज का महत्वपूर्ण योगदान है।

इस साल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय हथकरघा उत्पादों को खरीदने और #MyHandloomMyPride के साथ जुड़कर इनकी भव्यता दिखाने का आग्रह किया है।

हथकरघा भारत के विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत  का प्रतिक है।

ग्रामीण और अर्द्ध ग्रामीण क्षेत्रों में हथकरघा आजीविका का महत्वपूर्ण  साधन है।

भारत में इस काम से जुड़े श्रमिकों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं ही हैं।

इस तरह यह काम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाता है।

साथ ही महिला सशक्तिकरण में भी इसकी भूमिका है।

हर साल 7 अगस्त को ही हथकरघा दिवस मनाया जाता है।

7 अगस्त, 1905 को भारत में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी।

इस आंदोलन ने स्वदेशी उद्योगों और स्वदेशी भावना को प्रोत्साहित किया, जिसमें हथकरघा से जुड़े बुनकर भी शामिल थे।

भारत सरकार ने 2015 में, हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (एनएचडी) मनाने का फैसला किया।

हथकरघा दिवस के मौके पर वाराणसी के हथकरघा बुनकर मोहम्मद अकरम ने कहा कि “हमारा काम एकदम ठप पड़ा हुआ है। दिन पर दिन हमारा कारोबार खराब होते जा रहा है। यहां से कई लोग पलायन कर चुके हैं। लोग यह काम छोड़ रहे हैं और कहीं कोई पान की दूकान चला रहा है तो कोई कुछ कर रहा है।”

एक और अन्य हथकरघा बुनकर अब्दुलाते अंसारी ने कहा कि “हमारा रोजी-रोटी नहीं चल पा रहा है। हम लोगों का कारोबार पूरी तरह ठप पड़ा है। लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। सरकार हम लोगों पर क्या ध्यान दे रही है पता नहीं।”

हथकरघा बुनकर इकबाल अंसारी का कहना है कि “हम लोग क्या हथकरघा दिवस मनाएंगे? हमारे प्रधानमंत्री वाराणसी के ही सांसद हैं लेकिन उनको अपने ही संसदीय क्षेत्र के बुनकरों का हाल पता नहीं है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि बुनकरों के घर वाले जहर खाकर मर जाएं। ”

बता दें कि इस वर्ष भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से कोवलम, तिरुवनंतपुरम, केरल; मोहपारा गांव, जिला गोलाघाट, असम और कनिहामा, बडगाम, श्रीनगर में तीन हथकरघा शिल्प गांव स्थापित किए जा रहे हैं।

इन स्थानों पर शिल्प गांव स्थापित करने का उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को अतिरिक्त आकर्षण प्रदान करना और क्षेत्र के प्रसिद्ध हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देना है।


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Vikas Srivastava