श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर के लिए चुनार के लाल पत्थरों का किया जाएगा प्रयोग

श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर के लिए चुनार के लाल पत्थरों का किया जाएगा प्रयोग

वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर चुनार के लाल पत्थरों से दमकेगा। इस कारीडोर का निर्माण बाबा दरबार से ललिताघाट-मणिकर्णिकाघाट तक किया जा रहा है। मंदिर के गेट नंबर दो और तीन तक की चौड़ाई और गंगा तट तक की लंबाई में विस्तारित कारीडोर में बनारस की झलक दिखाने की योजना है। कारीडोर की सीढि़यों और प्लेटफार्मो को इन पत्थरों से ही आकार दिया जाएगा। पर्व-उत्सवों पर होने वाली भीड़ के लिहाज से मंदिर के समीप प्रस्तावित खाली स्थान की फर्श पर भी इन पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। जरूरत अनुसार जगह-जगह दीवारों पर भी इसका ही उपयोग किया जाएगा। इन पर काशी से जुड़ी कलाकृतियों को नक्काशी से उभार कर भव्यतम रूप दिया जाएगा।

ज्यादातर इन्ही पत्थरो का होता है प्रयोग

धरोहरों के शहर बनारस में गंगा के ज्यादातर घाट, गंगा तटीय इमारतें और मंदिर भी इसी पत्थरों से बने हैं। ऐसे में विशिष्ट क्षेत्र प्रशासन ने कारीडोर निर्माण में भी यही रंगत दिखाने का निर्णय लिया है ताकि इसमें पूरी तरह बनारस झलकता नजर आए। वास्तव में वर्तमान दौर में इस तरह के प्रोजेक्ट में टाइल्स या कोटा पत्थरों का उपयोग किया जाता है लेकिन उनके टिकाऊ न होने और फिसलन के कारण दिक्कतें होती हैं। इस लिहाज से भी चुनार के पत्थर ही उचित समझे गए।

प्रस्तावित टॉयलेट काम्प्लेक्स

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिहाज से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में प्रस्तावित टॉयलेट काम्प्लेक्स की डिजाइन फाइनल हो गई। अब अगले सप्ताह से इसका निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए नंदू फारिया गली में भूखंड मंगलवार को खाली करा लिया गया है। सीईओ विशाल सिंह के अनुसार टायलेट काम्प्लेक्स पूरी तरह वातानुकूलित होगा। इसमें महिलाओं-पुरुषों, बच्चों व दिव्यांगों के लिए अलग-अलग ब्लाक होंगे। इसका संचालन ट्रिपल पी के तहत किया जाएगा।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.

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