थाईलैंड यात्री को एयरपोर्ट पर मिल जाता इलाज तो बच सकती थी जान
वाराणसी: बनारस के बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर ही चिकित्सा सुविधा मिल जाती तो थाईलैंड के यात्री की जान बचाई जा सकती थी। छह महीने से हवाई अड्डे पर चिकित्सा सुविधाएं लापरवाही के चलते उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
10 से 12 हजार यात्रियों का होता है आवागमन
हर दिन 60 उड़ानें संचालित होती हैं यह हाल तब का है। यहां पर हमेशा 10 से 12 हजार यात्रियों का आवागमन होता है। वहीं तकरीबन 2000 कर्मचारी हैं। बताते चले कि यहाँ पर 27 मार्च को एयरपोर्ट पर तैनात युवती से एक होटल में सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में तैनात डॉ.आशुतोष अस्थाना के जेल जाने के बाद यहां किसी भी और डॉक्टर की तैनाती नहीं की गई है। वहीं एक कंपाउंडर के भरोसे एमई रूम है।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिया डॉक्टर तैनाती का आश्वासन
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एयरपोर्ट पर एक एंबुलेंस सहित डॉक्टर की तैनाती का आश्वासन भी दिया गया था। एयरपोर्ट से पूर्वांचल के साथ बिहार के भी यात्री विमान यात्रा एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया के हवाई अड्डों में प्रमुख स्थान रखने वाला एयरपोर्ट से करते हैं। बैंकाक, शारजाह, कोलंबो, नेपाल सहित अन्य देशों में भी सैलानी यहां से जाते हैं। हेरिटेज हॉस्पिटल द्वारा संचालित मेडिकल इमरजेंसी रूम भी एयरपोर्ट पर हैं पर फिर भी चिकित्सा सुविधा आपातकालीन स्थिति में नहीं मिल पा रही है।
अनुबंधित हॉस्पिटल के किया जाता है रेफर
प्राथमिक उपचार के बाद बीमार यात्री को उपचार के बाद शहर के अनुबंधित हॉस्पिटल के लिए एंबुलेंस से रेफर कर दिया जाता है। या फिर सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र और स्थानीय प्राथमिक भेजकर इलाज कराया जाता है। वहीं एयरपोर्ट डायरेक्टर एके राय के अनुसार एयरपोर्ट पर डॉक्टरों को आवश्यकतानुसार बुलाया जाता है। साथ ही कहा कि डॉक्टर को बुलाया जाए ऐसी परिस्थिति या हालत थाईलैंड के यात्री की नहीं थी। इस कारण उसे तुरंत ही निजी अस्पताल भिजवाया गया।
अनुबंधित अस्पताल से कर रहे है पत्राचार
हम आपको बताते चले कि किसी से भी हवाई अड्डे पर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली की हालत का हाल तो छुपा नहीं है, वहीं एयरपोर्ट डायरेक्टर एके राय छह महीने से अनुबंधित अस्पताल से पत्राचार ही कर रहे हैं। उनके द्वारा बार-बार भेजे जाने वाले पत्रों पर ध्यान नहीं देने से यात्री निरंतर ही खामियाजा भुगत रहे हैं। वहीं डायरेक्टर का तर्क है यहां पर कि कोई भी डॉक्टर यहां टिकता ही नहीं है। उन्होंने इसकी अहम् वजह ग्रामीण क्षेत्र होने सहित एयरपोर्ट तक रास्ते के खराब होने को बताया। बताते चले कि नई दिल्ली जा रहा था थाईलैंड के यात्रियों का दल। उस दल को वहां से श्रीनगर जाना था। जब कसोर्न की मृत्यु बीच में हो गई तो इस कारण ही उसके परिजन बीच में एयरपोर्ट पर उतर गए, जहां से उन सभी को शहर के एक होटल के लिए रवाना कर दिया गया। विदेशी यात्री के शव को बड़ागांव पुलिस पोस्टमार्टम के लिए ले गई।
संवाद में आई समस्या
विदेशी यात्री से मामले के संबंधित होने के कारण एसडीएम पिंडरा डॉ.एनएन यादव पंचनामा के समय मजिस्ट्रेट के तौर पर वहां पर उपस्थित रहे। वहीं मृतक यात्री के परिजनों से थाई भाषा की जानकारी न होने की वजह से संवाद में समस्या आने पर यात्रियों की मदद थाई स्माइल एयरलाइंस के स्थानीय प्रबंधक अंकुर ने थाई में बातचीत कर की।
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