हर दिन छोटी हो रही उत्तराखंड के नरसिंह बद्री मंदिर की प्रतिमा, कहीं ये प्रलय का संकेत तो नहीं
भगवान विष्णु के चौथे अवतार माने जाने वाले भगवान नरसिंह की आज जयंती मनाई जाती है।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए अवतार लिया था।
भगवान नरसिंह के तो वैसे देश में कई मंदिर हैं। लेकिन उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ में भगवान नरसिंह का यह मंदिर बहुत ही खास माना जाता है।
इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं, जिनका संबंध सीधे आपदा या प्रलय से होता है।
सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नरसिंह बद्री भी कहा जाता है।
मान्यता है कि सर्दियों के दौरान संत श्री बद्रीनाथ इस मंदिर में रहते हैं।
जानकारी के मुताबिक इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति हर दिन छोटी होती जा रही है।
मंदिर पुजारियों के अनुसार मूर्ति की बाईं कलाई पतली होती जा रही है और इसका आकार हर दिन यह कम होता जा रहा है।
एक अन्य मान्यता ऐसी भी है कि जिस दिन भगवान नरसिंह की कलाई बहुत पतली हो कर प्रतिमा से अलग हो जाएगी, उस दिन बद्रीनाथ को जाने वाला रास्ता सदैव के लिए बंद हो जाएगा।
ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन प्रलय और भूस्खलन के कारण रास्ता अवरुद्ध हो जाएगा।
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