चर्चा का विषय बनी ‘अशोक की लाट’ की नई प्रतिमा, विपक्ष साध रहा निशाना
राजधानी दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन की छत पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक द लाट’ की नई प्रतिमा पर देशभर में चर्चा हो रही है। पीएम मोदी के द्वारा जैसे ही इस प्रतिमा का अनावरण किया गया, उसके बाद से ही देश के कोने कोने से बयानबाजी होने लगी। इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान के साथ छेड़छाड़ बताया।
उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा कि अशोक स्तंभ का उद्घाटन पीएम को नहीं, लोकसभा स्पीकर को करना चाहिए था। ये संविधान के खिलाफ है। अभी संसद भवन की बिल्डिंग बनीं नहीं और प्रधानमंत्री अशोक स्तंभ का उद्घाटन करने पहुंच जाते हैं, इतना टाइम कहां से आता है प्रधानमंत्री आपके पास?
इसके साथ ही विपक्ष भी राष्ट्रीय प्रतीक को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है। आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने इसे राष्ट्र विरोधी कदम बताया।
क्या है प्रतिमा की खासियत
आपको बता दें कि जयपुर के स्टूडियो शिल्पिक मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास के निर्देशन में 40 कारीगरों ने पांच माह तक दिन रात कड़ी मेहनत एक करके इस प्रतिमा को तैयार किया है। अशोक चिह्न यानी अशोक की लाट की इस प्रतिकृति का डिजाइन टाटा प्रोजेक्ट कंपनी ने तैयार किया है।
संसद भवन पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक की प्रतिमा की खासियत यह है कि इस पर किसी भी मौसम का असर नहीं पड़ेगा। इस मूर्ति को बनाने के लिए इस तरह की धातु का इस्तेमाल किया गया है कि उस पर कभी जंग भी नहीं लगेगी। इस राष्ट्रीय प्रतीक की प्रतिमा की ऊंचाई 21 फीट है जबकि व्यास 38 फीट है। चौड़ाई 12 गुणा 12 मीटर है।
मूर्ति का वजन 9 टन 620 किलो है। इसकी निर्माण सामग्री में 90 फीसदी तांबा और 10 फीसदी टिन का उपयोग किया गया है। व्यास ने बताया कि यह मूर्ति इटालियन लॉस्ट वैक्स शैली की बनी है।
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