शरद पूर्णिमा पर होती है आसमान से अमृत वर्षा, गंगा स्नान और दान का भी है विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा पर होती है आसमान से अमृत वर्षा, गंगा स्नान और दान का भी है विशेष महत्व

वाराणसी। शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि हिंदू कैलेंडर में केवल एक दिन ऐसा होता है जब चंद्रमा पर 16 कलाएं निकलती हैं और वह दिन शरद पूर्णिमा है। पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर को शाम 07.03 बजे शुरू हुई और 20 अक्टूबर को रात 08.26 बजे समाप्त होगी। इस दिन चंद्रमा पूरी तरह से प्रकाशित होता है, और किरणें उपचार शक्तियां प्रदान करती हैं जो शरीर और आत्मा दोनों को पोषण देती हैं। लोग अपने घरों की छतों पर या खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर छलनी से ढक देते हैं। माना जाता है कि इस दिन आसमान से देवता लोग अमृत की वर्षा करते है। बहार रखे खीर में यही अमृत जा गिरता है जिसको लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस दिन गंगा स्नान और दान का भी है विशेष महत्व। इसको लेकर गंगा घाटों पर स्नान के लिए सुबह से ही भीड़ उमड़ने लगी है।

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Priyanshi Srivastava

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