वाराणसी का आदर्श थाना कैंट झेल रहा लापरवाही की मार
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में कुल पच्चीस थाना है जिसमे से कैंट थाना को आदर्श थाना का दर्जा दिया गया है। कैंट थाना का सिलियांश 30 जनवरी 2011 से लेकर आज तक थाना पूरी लगन व ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। सत्ता का ध्यान केवल पुलिस कर्मियों के तबादले पर रहता है वहा की व्यवस्था पर नहीं। मुख्यमंत्री के दौरे पे थाना साफ़ कराया जाता है और फिर हालत पहले जैसी हो जाती है।
चौबीसों घंटे ड्यूटी देने वाले पुलिस कर्मियों के थाने का हाल खंडहर जैसा।
अगर जिक्र थाना के दीवारों की करे तो लगता है मानो जैसे साल पहले पेंट हुआ हो, सारे दीवारों पे पानी का सीलन लग चूका है। अन्दर की स्थिति ज्यादा बत्तर है, पानी की बदबू कमरों में से आती है। थानों पर केवल थाना प्रभारी का ट्रान्सफर ही किया जाता है लेकिन किसी को सफाई से कोई मतलब नही होता क्योंकि उनका रूम व ऑफिस साफ़ रहता है, जमींन पे टाइल्स लगे रहते हैं, सब कुछ व्यस्थित रहता है। थाने में कुल 45 से अधिक उप निरीक्षक व सिपाही हैं जो बारह-बारह घंटे के शिफ्ट में ड्यूटी देते हैं, ड्यूटी देने के बाद उन्हें थाने के बने आवास में आराम करना पड़ता है जिसकी स्थति किसी जेल से कम नही है।
सुविधा का बस नाम है बाकि कुछ नही।
इन्सान की मुलभुत सुविधाए भी सही से नही है वाराणसी के इस मुख्य थाने में, शोचालय की स्थिति ऐसी हुई है कि कोई वहा न जाकर बहार जाना पसंद करता है। पीने के लिए आरो मशीन तो लगा है पर पता नही कितने महीनो से ख़राब पड़ा हुआ है। देश में स्वछता को लेकर जहाँ इतने बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं वही पुलिस स्टेशन के बाहर और अन्दर हर कोने में पान थूका हुआ और जमीने लाल मिल ही जाती हैं। सफाई के नाम पे केवल गन्दगी ही देखने को मिलती है, पता नहीं कब इसका हालत सुधेरगा।