खाईये यहां की कचौरी जलेबी
वाराणसी। बनारस में अलग अलग प्रकार की स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाना वैसे तो काशी की संस्कृति का हिस्सा हैं। बनारसी हो या कोई बाहर से आया व्यक्ति, देशी-विदेशी सब ही मनमस्त होकर सुबह भोर के नास्ते से आधी रात के खाने तक इसके मजे उठाते हैं।
भोर की कचौड़ी हो या जलेबी की भीड़ या सुबह की खस्ता पूड़ी से दोपहर के लौंगलता से समोसा, इमरती या बहुप्रसिद्ध टमाटर चाट जैसे व्यंजन या फिर पेय पदार्थ जैसे की लस्सी, कोल्ड कॉफी और चाय इत्यादि तक से सबकी अपनी अलग फैन फॉलोइंग हैं।
बनारस में वैसे तो मल्टी स्टार होटल, रेस्टॉरा, कैफ़े की भरमार हैं, जहां चाइनीस, इटालियन, फ्रेंच सभी प्रकार के व्यंजन एवं पेय उपलब्ध हैं। पूरी दुनिया में जहां लोग सुबह उठकर योग, व्यायाम करते हैं, स्मूथी, हेल्थ ड्रिंक्स या स्वस्थ रहने हेतु लाभदायक खान- पान हैं।
वहीं सुबह-सुबह एक बनारसी व्यक्ति स्वाद का आनंद लेने दुकानों पर प्रसिद्ध कचौरी खाने पहुंचता हैं। काशी के ये व्यंजन इतने मशहूर है कि इसके नाम से एक गली भी मौजूद हैं।
इसमें कोई शक़ नहीं की वाराणसी एक ऐतिहासिक नगरी हैं जिसमे यहां के स्वादिष्ट व्यंजनों का महत्वपूर्ण योगदान हैं। कचौरी जोकि शायद अब काशी का लैंडमार्क बन चुकी हैं वह बनारस के उत्कृष्ट व्यंजनों में से एक हैं।
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