वाराणसी में लाइसेंस बनाने के नाम पर हो रही है धांधली, नियम कानून को ताक पर रखकर बनाये जा रहे है लाइसेंस
वाराणसी: शहर के सांस्कृतिक संकुल में स्थित आरटीओ में धांधली का एक नया मामला प्रकाश में आया है। वैसे तो वाराणसी आरटीओ में दलालो के वर्चस्व को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे है, पर अब तो आरटीओ कार्यालय में खुलेआम धांधली की जा रही है।
सरकार द्वारा एक लाइसेंस के लिए मानक फीस 200 से 300 रुपये तय किया गया पर कार्यालय में दलालो द्वारा लाइसेंस के लिए 1 हजार से 2 हजार रुपये तक माँगा जा रहा है। और यदि पैसे न दे तो कार्यालय में दिन भर चक्कर काटने का बाद भी आपका लाइसेंस नहीं बन पायेगा इसी मुद्दे पर आज हम आपको बताएँगे कैसे आप दलालो के बिना लाइसेंस बनवा सकते है और जनता में जागरूकता लेकर वर्षो से चले आ रहे इस धांधली को रोका जा सके।
इस तरह से की जाती है धांधली
वैसे तो सरकार द्वारा लाइसेंस बनवाने के लिए काफी कम फीस तय किया गया है जो की 300 रुपये है। पर यदि नियम की बात की जाए तो कई दिनों तक कार्यालय का चक्कर लगाने पर भी आपका काम नहीं हो पायेगा और जब इस सन्दर्भ में हमने आरटीओ के आरआई यश्वी राम से बात की और आरटीओ विभाग और दलालो के इस सयुक्त साठगांठ पर सवाल किया तो उन्होंने कहा की ऐसी कोई बात नहीं है यदि ऐसा कुछ हो रहा है तो दोषियों पर करवाई की जाएगी।
जब दैनिक प्रसार की टीम ने इस मामले की तहकीकात की तो सारी सच्चाई सामने आ गयी इस मामले पर बात करने के लिए हमने एक युवक अभिषेक मौर्या से बात की, जो बनारस के सांस्कृतिक संकुल में स्तिथ आरटीओ में अपना लाइसेंस बनवाने आये थे। उन्होंने हमें बताया की इन्हे कंप्यूटर परीक्षा की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया की उन्होंने लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए 1000 रुपये दिए है और उनसे उनका फोटो और हस्ताक्षर ले लिया गया और कहा गया की लाइसेंस बन जायेगा।
अब आप ही सोचिये यदि इस तरह से लाइसेंस बनाया जायेगा तो सड़क दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है क्योंकि कंप्यूटर पर ऑनलाइन सोलह सवाल में से नौ सही सवालो का सही जवाब देना होता है जिसमे सड़क सुरक्षा और यातायात नियमो से जुड़े सवाल पूछे जाते है।
इसी विषय पे बात करने के लिए हम कार्यालय के ही पास ही दूसरे व्यक्ति बी एन भरद्वाज से मिले जिन्होंने बतया की यहां नियम कानून से कोई काम नहीं होता। यहां हर जगह दलालो का कब्जा हैं उनके माध्यम से आने पर लिफाफा भी नहीं लगाना होता और शाम को प्रिंट भी मिल जाता हैं।
अब बड़ा सवाल यह है की आखिर कब तक नियम कानून को ताक पे रखकर इस तरीके से बिना कंप्यूटर परीक्षा के दलालो द्वारा लाइसेंस बनाया जाता रहेगा। जिससे उन लोगो को भी लाइसेंस मिल जा रहा है जिन्हे जिन्हे सड़क पर गाडी चलाने की जानकारी भी नहीं है और ना ही उन्हें यातायात नियमो के बारे में कुछ पता है जिससे आये दिनों सड़क दुर्घटनाये होती रहती है।