32 साल बाद आयी सिकरौरा नरसंहार केस में फैसले की घड़ी
वाराणसी: 32 वर्षों बाद अंततः बहुचर्चित सिकरौरा नरसंहार कांड में फैसले की घड़ी सामने आ गयी है। 16 अगस्त को स्थानीय अदालत इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। विधानपरिषद सदस्य बृजेश सिंह जो की वाराणसी जेल में बंद इस मामले के मुख्य आरोपी हैं।
हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग्स हुई कोर्ट में दाखिल
अंतिम साक्ष्य सबूत सोमवार को इस मामले में दाखिल करना था, जिसके लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की दर्जनों रूलिंग दोनों पक्षों ने अदालत में अपने- अपने पक्ष में दाखिल की है। जहां अदालत से आरोपी एमएलसी बृजेश सिंह को कठोरतम सजा देने की गुहार अभियोजन पक्षद्वारा लगायी गयी है, वही दूसरी तरफ खुद को बेकसूर साबित करने का प्रयत्न बचाव पक्ष ने विभिन्न रूलिंग के जरिए दोषरहित करने के आग्रह से किया है।
बृजेश न आ सके पेशी पर
एडीजे राजीव कमल पांडे की अदालत में मामले की सुनवाई हुई है। बृजेश सिंह को भी सोमवार को सुनवाई में आना था, पर सावन का सोमवार होने की वजह से, उन्हें जेल से पेशी के लिए फोर्स ना मिलने के कारण ना लाया जा सका।
13 बृजेश के वा 42 नजीरें हीरावती के पक्ष में पेश
विभिन्न अदालतों की 13 रूलिंग बृजेश सिंह के पक्ष के वकीलों ने अपने पक्ष में दाखिल की।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट की 22 तथा हाईकोर्ट की 20 रूलिंग पीड़ित पक्ष हीरावती देवी के लिए दाखिल किया गया। फैसले के लिए 16 अगस्त की तिथि विद्वान न्यायाधीश ने इन्हें देखने के बाद फैसले के लिए मुकर्रर कर दी है।
7 लोगों के साथ ही 4 बच्चों की भी हुई थी नृशंस हत्या
1986 में हुआ था सिकरौरा नरसंहार कांड। इस घटना में वाराणसी (अब चंदौली) के सिकरौरा गांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव के साथ ही चार बच्चों और एक भाई समेत कुल सात लोगों को गोली मारकर एवं गंड़ासे से काटकर बहुत नृशंस तरीके से मौत के हवाले कर दिया गया था।
मामले की फाइल हो गयी गायब
इस मामले में जो की 32 वर्षों से चल रहा है इसकी फाइल ही गुम गयी थी एवं न्याय की उम्मदी पीड़ित पक्ष ने भी कर दी थी। वाराणसी के समाजसेवी व लेखक राकेश श्रीवास्तव से इन सबके बाद पीड़ित पक्ष की गवाह और हीरावती देवी ने मदद की गुहार लगायी। मामले को देखना शोषित, असहाय, गरीब, और विधिक सहायता संस्थान के अध्यक्ष राकेश ‘न्यायिक’ से पीड़िता को सहयोग का वादा कर प्रारंभ कर दिया गया। जिसके बाद जब पता लगाया गया तो पता चला कि मुकदमे से संबंधित फाइल ही गुम गयी है। और फिर जैसे तैसे करके किसी तरह फाइल मिली। इसके बाद मामले में राकेश न्यायिक को अपना विधिक पैरोकार हीरावती ने पावर ऑफ अटॉर्नी कर के बना दिया।
गवाही का साहस सुरक्षा मिलने के बाद गवाह इकट्ठा कर पाये
अदालत के आदेश पर जब गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा वाराणसी एवं चंदौली जिले की पुलिस ने प्रदान की फिर जाकर गवाही का साहस एकत्रित कर पाये गवाह। इस केस को अंतिम अंजाम तक अदालत ने त्वरित सुनवाई कर चौखट तक पहुंचा दिया है।
सबकी निगाहें टिकी है फैसले पर
16 अगस्त को आने वाले न्यायालय के फैसले पर दोनों पक्षों की निगाहें इस बेहद हाई-प्रोफाइल मामले में टिकी हुई है। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है ऐसा पीड़ित पक्ष के विधिक सलाहकार राकेश न्यायिक ने इस मामले के संबंध में कहा।