लोक गायिका शारदा सिन्हा ने बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय में दी प्रस्तुति

लोक गायिका शारदा सिन्हा ने बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय में दी प्रस्तुति

वाराणसी: शुक्रवार को बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय में लोककला एवं संस्कृति के संवर्द्धन के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन शारदा सिन्हा ने दी अपनी शानदार प्रस्तुति। भोजपुरी की लोक गायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा ने बीएचयू के पंडित ओंकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में लोगों का मन अपनी गायकी से मोह लिया। शारदा सिन्हा ने संस्कार से लेकर छठ गीतों तक प्रस्तुति की। उन्होंने महुअवा के झूमे डरिया, तनी ताका न बलमुआ हमार ओरिया’, फिर ‘कोठवा अटारी चढ़ी चितवे ले धनिया, से नही आइले विदेशिया बलमुआ’ के बाद एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी। समस्त प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मणिपुरी नृत्य सहित कई अन्य प्रस्तुतियां मणिपुर से आये कलाकारों ने भी दी। कई प्रस्तुतियां शनिवार को अंतिम दिन भी होंगी।

त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारम्भ

गुरुवार को मंच कला संकाय में आयोजित वैश्विक लोक संस्कृति: परम्परा एवं प्रतिबिम्ब विषयक त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। इन सबके बीच विदेश के कलाकारों ने गायन, वादन सहित नृत्य की प्रस्तुति के माध्यम से लोक कला, संस्कृति की झलक प्रस्तुत कर कई राज्यों ने संवर्द्धन का संकल्प भी लिया। कुलपति प्रो.राकेश भटनागर और मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग के अतिरिक्त सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का उद्घाटन करने के पश्चात् कलाकारों का उत्साह वर्धन भी किया।

संकाय प्रमुख की देखरेख में हो रहा है आयोजन

यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात बिहार, महाराष्ट्र, सहित कई राज्यों के साथ ही थाइलैंड, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस एवं यूएसए के कलाकार ने भी वैश्विक लोक संस्कृति: पंरपरा और उसके प्रभाव विषय पर आयोजित सेमीनार में संकाय के पंडित ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में अपनी उपस्थिति दर्ज की। यह आयोजन संकाय प्रमुख प्रो.राजेश शाह एवं नृत्य विभाग की अध्यक्ष डॉ.विधि नागर की देखरेख में किया जा रहा है। भारत की विविध लोक वाद्यों को पंचनाद में प्रस्तुत कर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शरद कुमार दांडेकर ने उपस्थित रहे सभी लोगों का ध्यान स्वयं की ओर आकर्षित किया।

श्रीलंकाई नृत्य भी किया गया प्रस्तुत

वहीं श्रीलंकाई नृत्य श्रीलंका से आई डॉ.एच अंजली मिश्रा की टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया। डॉ.अर्चना शर्मा ने पहले दिन में वक्ताओं से सूर्य उपासना की प्राचीनता व भारतीय लोक संस्कृति में ग्रामीण रामलीला के अवदान की चर्चा डॉ.शांति स्वरुप सिन्हा ने की। गुजरात के लोकवाद्यों में आदिवासी डकलू, नगाड़ा, डमरू, घड़ा, नागकड़ी सहित अन्य के बारे में बड़ोदा विश्वविद्यालय से आए प्रो.गौरांग भावसार ने बताया। सिर्फ इतना ही नहीं डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय की पुस्तक संगीत संवाहिनी का भी विमोचन हुआ।

Mithilesh Patel

After completing B.Tech from NIET and MBA from Cardiff University, Mithilesh Patel did Journalism and now he writes as an independent journalist.

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